शिमला। जय श्रीराम-जय श्रीराम के नारों से पूरा देश गुंजायमान था। हर समय कानों में ध्वनि सुनाई देती थी-रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मार्गदर्शन और विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में देशव्यापी आंदोलन चल रहा था। शिला पूजन-यात्राओं के कार्यक्रम हो चुके थे और अब कार सेवकों के जाने का …
शिमला। जय श्रीराम-जय श्रीराम के नारों से पूरा देश गुंजायमान था। हर समय कानों में ध्वनि सुनाई देती थी-रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मार्गदर्शन और विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में देशव्यापी आंदोलन चल रहा था। शिला पूजन-यात्राओं के कार्यक्रम हो चुके थे और अब कार सेवकों के जाने का समय आ गया। देश भर से कार सेवकों के जत्थे निकलने लगे थे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल ने कहा कि मेरे बड़े भाई डा. रामकुमार बिंदल विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश पदाधिकारी एवं राम जन्मभूमि आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से एक थे। एक बहुत विशाल जत्था लेकर वह सोलन से पहले चरण में निकल गए और उनके मार्गदर्शन में पीछे से और जत्थे निकलने लगे। मैं हिमगिरी कल्याण आश्रम सोलन का सेवा कार्य देखता था। साथ ही अपना क्लीनिक भी चलाता था। श्रीरामजी का आदेश हुआ, फिर क्या था, 32 राम भक्तों का जत्था बनाया, पिट्ठू पीठ पर लादकर बढ़ चले प्रभु श्री राम के चरणों में शीश नवाने। सोलन और राजगढ़ से अयोध्या जाने के लिए 32 लोग तैयार हुए, अलग-अलग साधनों एवं मार्गों से।
शिमला-कालका राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर धर्मपुर के पास पुराने शिव मंदिर के पास सभी एकत्रित हुए, जहां पर पूरा प्रशिक्षण लिया गया। डा. रामकुमार बिंदल, जो यात्रा के लिए पहले ही निकल चुके थे, उनके द्वारा बहुत सी महत्त्वपूर्ण जानकारियां हमें भेजी गई थीं। तदानुसार 32 कारसेवकों का गु्रप लीडर मुझे बनाया गया व चंद्रमोहन ठाकुर राजगढ़ वालों को सह-लीडर नियुक्त किया गया। हम 30 लोग प्रभु श्रीराम की कृपा से ट्रेनें बदलते हुए लखनऊ तक निर्बाध पहुंच गए। हम स्टेशन पर उतरें तो उतरें कैसे, चप्पे-चप्पे पर पुलिस थी। सब ओर कफ्र्यू लगा हुआ था। लखनऊ से अयोध्या की ओर जाने वाली सभी ट्रेनें बंद कर दी गई थीं। बाहर निकलते ही एहसास हुआ कि कोई बस गाड़ी नहीं है, कफ्र्यू है। छोट सा जय श्रीराम का उद्घोष किया। इसके बाद हम एक रामभक्त के सहयोग से एक मंदिर में पहुंचे। मंदिर में 500 से अधिक कार सेवक ठहरे थे। यहां पता लगा कि मुलायम सिंह ने पूरी व्यवस्था की है कि परिंदा भी पर न मार सके। लाखों कारसेवकों को सरयू नदी के उस पार रोके रखा गया था।