कुल्लू। मौसम की बेरुखी ने इस बार को हताश कर डाला है। जिला कुल्लू हो या लाहुल-स्पीति इस बार सभी बर्फबारी होने के लिए तरस से गए है। बर्फबारी न होने से न केवल इसका असर फसलों पर पड़ रहा है। बल्कि बर्फबारी के कारण से पर्यटन नगरी को कारोबार भी पूरी तरह से ठप …
कुल्लू। मौसम की बेरुखी ने इस बार को हताश कर डाला है। जिला कुल्लू हो या लाहुल-स्पीति इस बार सभी बर्फबारी होने के लिए तरस से गए है। बर्फबारी न होने से न केवल इसका असर फसलों पर पड़ रहा है। बल्कि बर्फबारी के कारण से पर्यटन नगरी को कारोबार भी पूरी तरह से ठप होकर रह गया है। बर्फ देखने की चाह में सैलानियों की आवाजाही लगातार रहती थी। क्रिसमस पर भी सैलानी बर्फबारी देखने के लिए भारी संख्या में मनाली पहुंचे। यहां सैलानियों को ब्हाइट क्रिसमस तो मनाने तो नहीं मिली। लेकिन सिसू में पड़ी बर्फ को निहारने के लिए लाखों सैलानी जरूर पहुंच गए। लेकिन अब मनाली आने वाले सैलानी बर्फ न दिखने पर हताश भी हो रहे है। सिसू में बर्फ तो है लेकिन रोजाना मौसम साफ रहने से वह भी पिघलनी शुरू हो गई है। वहीं, सर्दियों में बर्फबारी होने पर पर्यटन कारोबार को भी काफी बल मिलता था। लेकिन इस बार सभी पर्यटन स्थल बर्फबारी न होने के चलते सूने पड़े है। सैलानी अब विकेंड मेंं ही कुल्लू-मनाली का रुख कर रहे है और यहां दो दिन रुककर लौट रहे है। अगर बर्फ होती तो सैलानी करीब पांच दिन कुल्लू-मनाली घूमकर लौटता है। बर्फ न होने से साहसिक गतिविधि तक नहीं हो रही है। विंटर स्पोट्र्स नहीं हो रहे है।
साथ ही स्की के जो कोर्स हुआ करते थे। वह भी नहीं हो पा रहे है। कुल्लू-मनाली सहित लाहुल-स्पीति के लोग भी इस बार बेसब्री से बर्फ के पडऩे का इंतजार कर रहे है। लोग अपने आराध्य देवता के पास भी अराधना बर्फ के पडऩे को लेकर कर रहे है। सूखा पडऩे के चलते फसलों को भारी नुकसान हो रहा है। जिस कारण से किसान व बागवान हताश है। बर्फबारी लाहुल के लिए भी बेहद जरूरी है. अगर बर्फबारी नहीं हुई तो बचे हुए ग्लेशियर तेजी से सिकुड़ जाएंगे। साथ ही गर्मियों में सिंचाई करने के लिए भी लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। वहीं, फसलों के लिए भी बर्फबारी का होना इस समय बेहद जरूरी है। इसीलिए सभी बर्फबारी हो ऐसी अराधना देवी-देवताओं से कर रहे है। वहीं, बीते रोज रोहतांग सहित ऊंची चोटियों में हुई बर्फबारी के बाद यहां पर्यटन कारोबारियों में बर्फबारी होने की उम्मीद जगी है। वहीं, रविवार को यहां स्पीति के कीह गोंपा में तोद घाटी के ग्रामीणों तथा लामाओं द्वारा बर्फ बारी के लिये त्सोग पूजा पाठ एवं अनुश्ठान किया गया। सभी बर्फबारी को इसकी अराधना कर रहे है। मनाली होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश ठाकुर का कहना है कि बर्फबारी न होने से मनाली के पर्यटन कारोबार को भार नुकसान पहुंच रहा है। होटल मालिकों को मंदी की मार झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि विकेंड में ही सैलानी मनाली पहुंच तो रहा है। लेकिन दो दिन रुक कर लौट जाते है। अगर बर्फबारी होती है जो सैलानी करीब पांच दिनों तक मनाली घूमने के लिए रुकते है। वहीं, विकेंड में ही मनाली में 56 प्रतिशत ओक्यूपेन्सी रहती है। बाकी के दिनों में अब 40 प्रतिशत की ओक्यूपेन्सी रह गई है। उन्होंने कहा कि सभी लोग बर्फबारी कुछ दिनों में जमकर होगी। ऐसी उम्मीद में है। जिससे कारोबार भी बल मिलेगा।