
शिमला। शहर के तीन बड़े सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी अब कम समय में ट्रीट कर पीने योग्य बनाया जाएगा। दरअसल अमृत मिशन के तहत सतलुज जल प्रबंधन निगम शहर में तीन जगह ट्रीटमेंट प्लांट को अपग्रेड कर रहा है, जिसमें दो का काम पूरा भी हो चुका है। इसमें ढली, लालपानी और मल्याणा में …
शिमला। शहर के तीन बड़े सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी अब कम समय में ट्रीट कर पीने योग्य बनाया जाएगा। दरअसल अमृत मिशन के तहत सतलुज जल प्रबंधन निगम शहर में तीन जगह ट्रीटमेंट प्लांट को अपग्रेड कर रहा है, जिसमें दो का काम पूरा भी हो चुका है। इसमें ढली, लालपानी और मल्याणा में ये सीवरेज प्लांट बनाए जा रहे हैं। खास बात यह है कि एसबीआर यानी सिक्वेसिंग बैच रिएक्टर तकनीक के माध्यम से ये प्लांट बन रहे हैं। मल्याणा ट्रीटमेंट प्लांट की बात करें तो इसकी कैपेसटी करीबन 52 लाख लीटर की है। वहीं, ढली प्लांट पर 15 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे, जबकि इस ट्रीटमेंट प्लांट से अभी 40 लाख लीटर के आसपास ही पानी ट्रीट किया जा रहा है।
वहीं, लालापानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर एक करोड़ 42 लाख खर्च किए जा रहे हैं। मार्च तक ये प्लांट भी बनकर तैयार हो जाएगा। खास बात यह है कि इसमें एरोबिक तकनीक अपनाई जाएगी। अधिकारियों की मानें तो कम समय में ज्यादा मात्रा में पानी ट्रीट किया जाएगा। इस प्रणाली में अपशिष्ट पानी को एकल बैच रिएक्टर में पंप किया जाता है, जहां डिस्चार्ज होने से पहले इसे दूषित पदार्थों को खत्म करने के लिए उपचारित किया जाता है। एकल बैच रिएक्टर का उपयोग फिल्टरेशन के लिए किया जा सकता है। शहर में लगने वाले इन तीन ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 25 साल तक की है। पहले यह दिक्कत रहती थी कि शिमला शहर में पीने योग्य पानी कम रहता था, लेकिन अब गर्मियों में भी लोगों को पेयजल किल्लत नहीं सताएगी। पानी जल्दी से साफ हो सकेगा और उसे शहरवासियों की जरूरत के हिसाब से यूज किया जा सकता है।
शहर में तीन बड़े एसटीपी विदेशी तकनीक एसबीआर के तहत अपग्रेड किए जा रहे हैं। समय कम लगेेगा और दूसरा ज्यादा कैपेसटी में पानी साफ हो जाएगा।
संजय कौशल, अतिरिक्त महाप्रबंधक, एसजेपीएनएल
