हमीरपुर। हि पैस्को यानी हिमाचल प्रदेश पूर्व सैनिक कारपोरेशन में लंबे समय से अध्यक्ष नहीं है। यह एक ऐसी संस्था है जिसकी स्थापना प्रदेशभर के पूर्व सैनिकों के कल्याण और उनकी आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए हुई थी। तैनाती के न होने से जहां एक्ससर्विसमैन कारपोरेशन के कई कार्य प्रभावित हो रहे हैं। अभी सैनिक …
हमीरपुर। हि पैस्को यानी हिमाचल प्रदेश पूर्व सैनिक कारपोरेशन में लंबे समय से अध्यक्ष नहीं है। यह एक ऐसी संस्था है जिसकी स्थापना प्रदेशभर के पूर्व सैनिकों के कल्याण और उनकी आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए हुई थी। तैनाती के न होने से जहां एक्ससर्विसमैन कारपोरेशन के कई कार्य प्रभावित हो रहे हैं। अभी सैनिक वेलफेयर के डायरेक्टर को कारपोरेशन का अतिरिक्त कार्यभार दे रखा है। कारपोरेशन में चेयरमैन के अतिरिक्त पांच से छह नॉन ऑफिशियल मेंबर भी बनाए जाते हैं जिनकी मौजूदगी में बीओडी जैसी जरूरी बैठकों का आयोजन किया जाता है। यह सभी मेंबर भी आर्मी से रिटायर अधिकारी ही होते हैं। बताते चलें कि एक्ससर्विसमैन कारपोरेशन विभिन्न बड़े मेडिकल कालेजों, प्रोजेक्टों, वार मेमोरियल इत्यादि में सिक्योरिटी गार्ड के रूप में पूर्व सैनिकों की नियुक्ति करता है। वर्तमान में करीब अढ़ाई हजार पूर्व सैनिक सिक्योरिटी गार्ड के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।
इसके अलावा प्रदेश में स्थापित सीमेंट कंपनियों चाहे एसीसी हो, अबुंजा हो इनमें पूर्व सैनिकों के ट्रक भी कारपोरेशन के माध्यम से लगाए जाते हैं जिसमें पूर्व सैनिकों को आर्थिकी तौर पर लाभ होता है। चेयरमैन की अध्यक्षता में बीओडी समेत कई महत्त्वपूर्ण बैठकें समय-समय पर होती है जिनमें पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के लिए कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं बनाई जाती हैं और कई महत्त्वपूर्ण फैसले लिए जाते हैं। यही नहीं निगम द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंकों के माध्यम से स्वरोजगार योजनाओं के लिए ऋण भी उपलब्ध करवाया जाता है। जानकारी के मुताबिक हिमाचल में एक्ससर्विसमैन कारपोरेशन की स्थापना 1979 में हुई थी। जबकि 1981 में इसने सुचारू रूप से काम करना शुरू किया था। इसका मुख्य उद्देश्य पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए योजनाएं बनाना था ताकि रिटायर होने के बाद पूर्व सैनिकों को किसी भी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े। वर्ष 1996 में एक्ससर्विसमैन कारपोरेशन में सिक्योरिटी एजेंसी भी स्थापित की गई थी जिसमें पूर्व सैनिकों को सुरक्षा गार्ड के पदों पर विभिन्न बड़े प्रोजेक्टों में तैनाती थी जाने लगी जिसने बाद में बड़े पैमाने पर काम करना शुरू किया।