मकलोडगंज। हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी न होने की वजह टूरिज्म सेक्टर पर खासा असर पड़ा है। धौलाधार में बर्फबारी न होने के चलते अब सैलानियों ने भी धर्मशाला-मकलोडगंज से मुख मोड़ लिया है। इस साल पहाड़ों में बर्फबारी और बारिश न होने से गर्मियों में पेयजल स्रोतों के सूखने का डर सताने लग गया है। …
मकलोडगंज। हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी न होने की वजह टूरिज्म सेक्टर पर खासा असर पड़ा है। धौलाधार में बर्फबारी न होने के चलते अब सैलानियों ने भी धर्मशाला-मकलोडगंज से मुख मोड़ लिया है। इस साल पहाड़ों में बर्फबारी और बारिश न होने से गर्मियों में पेयजल स्रोतों के सूखने का डर सताने लग गया है। धर्मशाला सहित जिलाभर के लोगों को भी गर्मियों में पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। लगातार तीन महीने से चल रहे सूखे से मकलोडगंज-भागसूनाग समेत धर्मशाला शहर में जलस्तर 25 से 30 फीसदी तक घट गया है। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला की इन खूबसूरत वादियों से भी सैलानी मुंह मोड़ते नजर आ रहे हैं। धर्मशाला की खूबसूरती को सदियों से धौलाधार की बर्फीली वादियां चार चांद लगाती रही हैं, लेकिन इस बार धौलाधार से बर्फ की सफेद चादर गायब है। इसका सीधा असर धौलाधार की तलहटी में बसे इलाकों पर हुआ है। धर्मशाला में कुदरती तौर पर बना पानी का करीब सौ 120 फीट ऊंचा झरना अब सूख कर नाममात्र रह गया है। भागसूनाग वाटरफॉल से नाममात्र पानी आर रहा है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि टूरिस्ट नहीं आ रहे हैं, लेकिन बर्फबारी ना होने से टूरिस्ट की संख्य काफी कम है। अब जल्द ही मौसम की स्थिति में सुधार न होने पर समस्या ओर अधिक विकराल बन सकती है।
मगर जिलों में अगले आठ से दस दिन के अंदर बारिश नहीं हुई, तो किसानों को सूखा पडऩे के नुकसान से गुजरना पड़ेगा। मकलोडगंज के पास भागसूनाग-वाटरफॉल कभी सैलानियों के लिए सबसे पंसदीदा जगहों में से एक थी, लेकिन भागसूनाग-वाटरफॉल सूखे की मार से दो चार हो रहा है। मकलोडगंज के पास भागसूनाग में वाटरफाल बिना बारिश व बर्फबारी के सूखने के कगार पर पहुंच गया है। विश्व भर में पर्यटन के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुके मकलोडगंज- भागसूनाग के स्थानीय लोगों व कारोबारियों का कहना है कि मकलोडगंज व भागसूनाग की शान कहे जाने वाले वाटरफाल यानी झरने पर संकट आने लगा है। झरने में पानी सूखने की कगार पर पहुंच गया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि यहां पानी की नाममात्र की धार रह गई है। यहां से निकलने वाली चरान खड्ड में भी पानी लगभग सूख गया है। सैलानी आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं कि कब बारिश और बर्फंबारी होगी। बर्फबारी होने से पर्यटक स्थल मकलोडगंज में पर्यटन कारोबार को और पंख लगेंगे। हालांकि पर्यटकों की संख्या में जरूर बढ़ोतरी दर्ज की गई है, लेकिन हिमपात देश-दुनिया के लोगों को पर्यटक स्थल मकलोडगंज-नड्डी की ओर खींच लाएगा। पर्यटन कारोबारियों की बात करें तो सब स्नोफॉल चाहते हैं।