हमीरपुर। एक तरफ जहां युवा बेरोजगारी का रोना रो रहे हैं तो वहीं महिलाओं ने स्वरोजगार की राह चुनकर ऐसे युवाओं के लिए एक नई मिशाल कायम कर दी है। मन में कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति किसी भी लक्ष्य को साध सकती है, इस बात को गणेश स्वयं सहायता समूह ने सार्थक कर दिखाया …
हमीरपुर। एक तरफ जहां युवा बेरोजगारी का रोना रो रहे हैं तो वहीं महिलाओं ने स्वरोजगार की राह चुनकर ऐसे युवाओं के लिए एक नई मिशाल कायम कर दी है। मन में कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति किसी भी लक्ष्य को साध सकती है, इस बात को गणेश स्वयं सहायता समूह ने सार्थक कर दिखाया है। समूह की छह महिलाओं ने पत्तल उद्योग लगाकर न सिर्फ स्वरोजगार का जरिया ढूंढा, बल्कि लोगों को मार्केट से कम दाम पर पत्तल उपलब्ध करवाकर महंगाई के दौर में राहत पहुंचाई है। ग्राम पंचायत मति टीहरा के घरियाना जसवाला क्षेत्र की महिलाओं ने गणेश स्वयं सहायता समूह चला रहा है। इस समूह की महिलाओं ने स्वरोजगार के रास्ता अपनाने की इच्छा जाहिर की थी। सर्वविदित है कि दृढ़ संकल्प के आगे पहाड़ भी झुक जाते हैं। परिश्रम ही एक ऐसा जरिया है जो किसी भी असाध्य कार्य को पूर्ण कर देता है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के मन में काम के प्रति थोड़ी शंका जरूर थी, लेकिन कार्य करने की प्रबल इच्छा कहीं ज्यादा थी। स्वयं सहायता समूह की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक पत्तल, डून्ने तथा मध्यम साइज के पत्तल बनाने की मशीन ब्लॉक की तरफ से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत उपलब्ध करवाई गई है। हालांकि रॉ मैटीरियल महिलाओं ने अपने सामूहिक सहयोग से एकत्रित किया। बताया जाता है कि महिलाओं द्वारा लाए गए रॉ मेटीरियल से पत्तल, डून्ने व मध्यम पत्तल बनाने के उपरांत हजारों रुपए की इनकम हुई है।
बड़ी बात यह है कि स्वयं सहायता समूह बाजारों से कम दाम में यह सामग्री लोगों को उपलब्ध करवा रहा है। ऐसे में जहां लोग स्वयं सहायता समूह की कार्यशैली की सराहना कर रहे हैं वही महंगाई के दौर में बाजार से कम दाम में सामान प्राप्त कर राहत महसूस कर रहे हैं। पारंपरागत तरीके से यदि किसी ने समारोह आयोजित करने के लिए टौर के पत्तल का इस्तेमाल करना हो तो गणेश स्वयं सहायता समूह टौर के पत्तल भी बना देता है। टौर एक पेड़ होता है जिसके पत्तों से इन पत्तल को तैयार किया जाता है। हालांकि इस कार्य में मेहनत काफी अधिक लगती है। महिलाओं को पहले टौर से पत्ते उतारने पड़ते हैं तथा बाद में उनके पत्तल बनाए जाते हैं। हालांकि यह सुनने में जरूर आया है कि जितनी मेहनत टौर के पत्तल बनाने में लगती है उतना मेहनताना नहीं मिल पाता। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि यदि डिमांड आती है तो वह टौर के पत्तल भी बनाते हैं। खंड विकास अधिकारी हमीरपुर हिमांशी शर्मा का कहना है कि महिलाएं बेहतर कार्य कर रही हैं। गणेश स्वयं सहायता समूह के कार्य से महिलाओं ने स्वरोजगार को अपनाया है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह को मशीनरी उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने अन्य स्वयं सहायता समूहों से भी आग्रह किया है कि सफलता की तरफ कदम बढ़ाकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं। उन्होंने बेहतर कार्य के लिए गणेश स्वयं सहायता समूह की सराहना की है।