हमीरपुर। वर्षों से राजनीति का केंद्र रहे जिला हमीरपुर में एक अलग ही तरह की राजनीति का स्वरूप देखने को मिल रहा है। ऐसी राजनीति जो नेताओं की जनसभाओं में होने वाले सियासी हमलों से बाहर निकलते हुए सरकारी विभागों के विश्रामगृहों की तालाबंदी पर पहुंच गई है। यह तालाबंदी किसी देहात या दूरदराज के …
हमीरपुर। वर्षों से राजनीति का केंद्र रहे जिला हमीरपुर में एक अलग ही तरह की राजनीति का स्वरूप देखने को मिल रहा है। ऐसी राजनीति जो नेताओं की जनसभाओं में होने वाले सियासी हमलों से बाहर निकलते हुए सरकारी विभागों के विश्रामगृहों की तालाबंदी पर पहुंच गई है। यह तालाबंदी किसी देहात या दूरदराज के रेस्ट हाउस में नहीं, बल्कि प्रदेश के दो बार के मुख्यमंत्री रहे प्रो. प्रेम कुमार धूमल के घर के पड़ोस में बने लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह में की गई है। पूर्व मुख्यमंत्री के पहले कार्यकाल में बने इस विश्राम गृह में तालाबंदी क्यों की गई और किसके इशारे पर की गई, इस बारे में तो कोई भी बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन तालाबंदी के इस घटनाक्रम के पीछे की कहानी राजनीति से जुड़ी हुई ही सामने आ रही है। माना जा रहा है कि पिछले दिनों भोरंज महिला मोर्चा द्वारा इस विश्राम गृह के प्रांगण से सरकार के खिलाफ नाच-गाकर किया गया प्रदर्शन इसकी वजह हो सकती है।
दरअसल पिछले दिनों महिला मोर्चा की महिलाओं द्वारा सरकार की गारंटियों और खासकर महिलाओं को 1500 रुपए देने के किए गए वादे को लेकर इस रेस्ट हाउस में ‘हाय सुक्खुआ’ जैसे गीत महिलाओं ने गाए थे और सरकार को गीतों के जरिए सरकार को खूब खरी-खोटी भी सुनाई थी। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, जिस पर लोगों ने बहुत कमेंट भी किए थे। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार तक यह मामला पहुंचा है, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई है। खैर वजह जो भी रही हो, लेकिन विश्रामगृह में हुई इस तालाबंदी के बाद हमीरपुर में एक नई राजनीतिक तस्वीर डिवलेप होती हुई नजर आ रही है इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है।