कुल्लू। कुल्लू में सीटू सहित सभी ट्रेड यूनियनों ने राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। अखाड़ा बाजार स्थित नेहरू पार्क से लेकर उपायुक्त कार्यालय तक रोष रैली निकाली। वहीं, जिला प्रशासन के माध्यम से प्रदेश सरकार को ज्ञापन सौंपा। यूनियनों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश सरकार बने एक वर्ष हो गया …
कुल्लू। कुल्लू में सीटू सहित सभी ट्रेड यूनियनों ने राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। अखाड़ा बाजार स्थित नेहरू पार्क से लेकर उपायुक्त कार्यालय तक रोष रैली निकाली। वहीं, जिला प्रशासन के माध्यम से प्रदेश सरकार को ज्ञापन सौंपा। यूनियनों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश सरकार बने एक वर्ष हो गया है, लेकिन एक साल की समय अवधि में हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड में निर्माण मजदूरों का पंजीकरण, नवीनीकरण और उन्हें मिलने वाली सहायता राशि बंद है। इसके बारे में अलग-अलग मजदूर यूनियनों ने कई मांगपत्र सौंपे और बोर्ड बैठकों में भी इस कार्य को प्रारंभ करने की मांग की गई, लेकिन अभी तक भी यह कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है। इसलिए अब सभी पंजीकृत मजदूर यूनियनों, संगठनों ने एक मंच पर इक्ठठा होकर इसकी मांग उठाने और जरूरत के अनुसार संघर्ष करने की योजना बनाई है। सभी इंटक, बीएमएस, सीटू, घटक, टीयूसीसी और एसकेएस मजदूर संगठन शामिल हुए है। सभी ट्रेड यूनियन ने मांगों और गैर कानूनी तौर पर रोके गए बोर्ड के कार्यों को पुन: बहाल करने की मांग की है। वहीं केंद्र सरकार पर भी हल्ला बोला है।
इस वर्ष जुलाई-अगस्त में भारी वर्षा से हुई तबाही की भरपाई के लिए बोर्ड के सदस्य मजदूरों को बोर्ड से सहायता राशि प्रदान करने की मांग राज्य सरकार से की है। वहीं सरकार से साढ़े चार लाख पंजीकृत मजदूरों के कल्याण के कार्य को तुरंत बहाल करने की मांग की है। सीटू जिलाध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बताया कि 6 मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। 12 दिसंबर 2022 को जारी अधिसूचना को वापस लिया जाए, जिसमें मनरेगा मजदूरों को निर्माण मजदूर न मानने का गैर कानूनी निर्देश जारी हुआ है। सभी मनरेगा मजदूरों को जो निर्माण कार्य वर्ग में 90 दिन से अधिक करते है, उन्हें बोर्ड का सदस्य बनने और उन्हें सभी निर्धारित लाभ जारी करने का कानूनी अधिकार बहाल किया जाए। सभी मजदूरों की गत तीन वर्षों सहायता राशि तुरंत जारी की जाए। 8 फरवरी 2023 को सरकार द्वारा जारी उस अधिसूचना को भी रद्द किया जाए, जिसमें निर्माण मजदूरों के पंजीकरण के लिए सेस (उपकर) अदायगी की गैर कानूनी शर्त लगाई गई है तथा पंजीकृत निर्माण मजदूरों को रोजगार प्रमाणपत्र जारी करने के अधिकार से वंचित किया गया है। बोर्ड की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाने हेतु बोर्ड का स्थाई अध्यक्ष और सचिव नियुक्त किया जाए। बोर्ड का राजस्व बढ़ाने के लिए निजी व सरकारी क्षेत्र में हो रहे निर्माण कार्यों से सेस उगाही को सही ढंग से किया जाए और उसके लिये श्रम विभाग को उचित दिशा-निर्देश जारी किए जाए।