भारत

मोबाइल टावर और ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के लिए आसान हुई प्रक्रिया

6 Feb 2024 4:36 AM GMT
मोबाइल टावर और ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने के लिए आसान हुई प्रक्रिया
x

शिमला। हिमाचल में 5जी इंटरनेट नेटवर्क तैयार होने से पहले राज्य सरकार ने नई राइट ऑफ वे पॉलिसी अधिसूचित कर दी है। इस पॉलिसी के तहत मोबाइल टावर और ऑप्टिकल फाइबर केबल यानी ओएफसी बिछाने के लिए प्रक्रिया को सरल किया गया है। जिला उपयुक्त की जिम्मेदारी बढ़ाई गई है और इसके लिए शुल्क भी बढ़ा …

शिमला। हिमाचल में 5जी इंटरनेट नेटवर्क तैयार होने से पहले राज्य सरकार ने नई राइट ऑफ वे पॉलिसी अधिसूचित कर दी है। इस पॉलिसी के तहत मोबाइल टावर और ऑप्टिकल फाइबर केबल यानी ओएफसी बिछाने के लिए प्रक्रिया को सरल किया गया है। जिला उपयुक्त की जिम्मेदारी बढ़ाई गई है और इसके लिए शुल्क भी बढ़ा दिया है। नई बात यह है कि टावर लगाने या ऑप्टिकल फाइबर केबल डालने के लिए जमीन संबंधी झगड़े से लेकर बाकी दिक्कतें सुलझाने पर फोकस है। कैबिनेट से मिली अनुमति के बाद डिजिटल टेक्नोलॉजी एंड गवर्नेंस विभाग के सचिव ने पॉलिसी को नोटिफाई कर दिया है। इसमें कहा गया है कि हिमाचल में मोबाइल नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए इस तरह की पॉलिसी की जरूरत थी। राज्य के कई हिस्सों में अभी भी शैडो जोन हैं और कॉल ड्रॉप की समस्या है। मोबाइल नेटवर्क ठीक करने के लिए टावर लगाने या ऑप्टिकल फाइबर केबल डालने में अड़चनों को दूर करना इस पॉलिसी का मकसद है। नई पॉलिसी में जिला उपायुक्तों के पास दो तरह की जिम्मेदारी है। एक तो वह जिला स्तरीय नोडल अधिकारी हैं और लाइसेंस प्राप्त करने वाली कंपनी को अनुमति भी वही देंगे।

दूसरा किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में संबंधित जिला के जिलाधीश की अध्यक्षता में ही जन शिकायत निवारण और समन्वय कमेटी बनाई जाएगी। इस तरह विवाद को 60 दिन के भीतर सुलझाना डीसी की जिम्मेदारी होगी। नई पॉलिसी में एप्लीकेशन फीस को भी बढ़ाया गया है। अब अंडरग्राउंड केबल बिछाने के लिए प्रति किलोमीटर 1000 रुपए देने होंगे, जबकि मोबाइल टावर की एप्लीकेशन के लिए भी 1000 रुपए प्रति टावर फीस होगी। ओवर ग्राउंड टेलीग्राफ लाइन के लिए भी 1000 प्रति किलोमीटर और स्माल सेल्स बिजली या कम्युनिकेशन के खंभों पर लगाने के लिए प्रति पोल 1000 रुपए देने होंगे। नई पॉलिसी में अनुमति देने की प्रक्रिया को भी सरल किया गया है। स्थानीय निकाय चाहे नगर निगम, नगर परिषद या पंचायत हो, को इस तरह का नेटवर्क तैयार करने को लाइसेंस धारक की मदद करनी होगी। इस इन्फ्रास्ट्रक्चर को बनाने के लिए यदि स्थानीय निकाय की सडक़ों या किसी अन्य तरह का नुकसान होता है, तो उसकी मरम्मत स्थानीय निकाय करवाएगा, जबकि बिल लाइसेंस धारक भरेगा।

    Next Story