भारत

शिमला धमाके में जांच एजेंसियां भी खाली हाथ

22 Jan 2024 3:54 AM GMT
शिमला धमाके में जांच एजेंसियां भी खाली हाथ
x

शिमला। शिमला के मालरोड़ के नजदीक हिमाचल रसोई में एलपीजी गैस लीक धमाके के स्थान पर विस्फोटक सामग्री कहां से आई पुलिस अभी तक इस बात का पता नहीं लगा पाई है। प्रदेश सरकार के आलावा केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों भी इसका भंडाफोड़ नहीं कर पाई है।केंद्रीय खुफिया एजेंसी आइबी का प्रदेश में पूरा तामझाम …

शिमला। शिमला के मालरोड़ के नजदीक हिमाचल रसोई में एलपीजी गैस लीक धमाके के स्थान पर विस्फोटक सामग्री कहां से आई पुलिस अभी तक इस बात का पता नहीं लगा पाई है। प्रदेश सरकार के आलावा केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों भी इसका भंडाफोड़ नहीं कर पाई है।केंद्रीय खुफिया एजेंसी आइबी का प्रदेश में पूरा तामझाम है। इसके अलावा एनएसजी और देश की प्रमुख व पेशेवार जांच एजेंसी एनआइए की जांच टोलियां भी इस धमाके के बाद राजधानी की टोह लेती रही है, लेकिन अब तक विस्फोटक सामग्री कहां से और किस वाहन में आई और कौन इसे यहां तक लाया इसका पता नहीं लगा पाई है। ऐसे में सवाल उठ रहे है कि क्या कोई आंतकी संगठन सक्रिय था जिसने इसे यहां पर रख दिया होगा। मालरोड पर हुए ब्लास्ट के पीछे क्या साजिश थी । किसे मारने के लिए लाया गया था। सवाल उठ रहा है कि दीपावली में पटाखे बनाने के लिए तो इसे लाया नहीं जा सकता। गौर हो कि आईडी और आरडीएक्स ऐसी चीज नहीं है, जिसे दाल-सब्जी में स्वाद बढाऩे के लिए इस रेस्तरां के मालिक व कुक आदि मसाले के तौर पर इस्तेमाल करते हो।

आरडीएक्स कंस्ट्रक्शन से जुड़े ठेकेदारों के पास भी नहीं मिलता है। इसके अलावा ये दुकानों में भी नहीं मिलता। ऐसे में ये विस्फोटक सामग्री कहां से आई और किस दिशा से आई इसका पता नहीं लग पाया है। ऐसे में आश्चर्य है कि प्रदेश की पुलिस ही नहीं एसएफएल जुन्गा की लैब वाले भी इसे नहीं पकड़ पाए। ये आईडी व आरडीएक्स ऐसी चीज भी नहीं है कि जब एनएसजी की टीम नमूने लेने आई हो तो अचानक ये कहीं से प्रगट हो गया हो। तमाम तरह के सवाल उठने लगे है कि क्या शांत राज्य हिमाचल में विस्फोटक सामग्री हो गई है। ये आईडी व आरडीएक्स नहीं था, इसे खारिज करना भी आसान नहीं है क्योंकि इसका दावा डीजीपी कुंडू ने खुद अपने हलफनामे में किया है। जाहिर है कि जो नमूने हिमाचल रसोई से लिए होंगे उनकी जांच देश की किन्हीं नामी फारेंसिक लैब में ही हुई होगी। हरेक एजेंसी का अपना एक एसओपी है। जाहिर है उसका पालन तो किया ही होगा, लेकिन अब तक किसी का पकड़ा नहीं जाना अपने आप हिमाचल पुलिस ही नहीं केंद्रीय एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रही है।

    Next Story