
शिमला। वन मंजूरी न मिलने के कारण लटके प्रोजेक्टों का शिक्षा विभाग ने ब्यौरा तलब किया है। निदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग डॉ. अमरजीत शर्मा की ओर से सभी जिलों के उप शिक्षा निदेशक और स्कूलों के प्रधानाचार्य व मुख्य अध्यापकों को सर्कुलर जारी किया गया है। सर्कुलर के साथ एक फॉर्मेट भी भेजा गया है। इसमें …
शिमला। वन मंजूरी न मिलने के कारण लटके प्रोजेक्टों का शिक्षा विभाग ने ब्यौरा तलब किया है। निदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग डॉ. अमरजीत शर्मा की ओर से सभी जिलों के उप शिक्षा निदेशक और स्कूलों के प्रधानाचार्य व मुख्य अध्यापकों को सर्कुलर जारी किया गया है। सर्कुलर के साथ एक फॉर्मेट भी भेजा गया है। इसमें पूछा गया है कि कितने स्कूल व कॉलेज के भवन ऐसे हैं, जिनके लिए बजट मंजूर हो चुका है, लेकिन एफसीए की मंजूरी न मिलने के कारण अभी तक कोई काम नहीं हो पाया है।
प्रधानाचार्यों को फॉर्मेट में बताना होगा कि एफसीए केस की स्थिति क्या है, क्या इसके लिए केस तैयार कर भेज दिया गया है। कितने मामले ऐसे हैं, जिनके केस तैयार कर मंजूरी के लिए भेजे गए हैं और कितने मामले ऐसे हैं, जिनका अभी तक केस भी तैयार नहीं हुआ है। एक सप्ताह के भीतर यह सारी जानकारी शिक्षा निदेशालय को भेजने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद इसका पूरा प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा जाएगा। राज्य के सरकारी स्कूल व कॉलेज भवनों के निर्माण और मैंटिनेस के लिए जारी किए गए बजट को लोक निर्माण विभाग खर्च ही नहीं कर पाया।
शिक्षा विभाग निर्माण कार्यों के लिए ड्राइंग अप्रूव करवाने से लेकर बजट भी ट्रांसफर करवा दिया है लेकिन कई मामलों में एफसीए की मंजूरी नहीं आई है। कई प्रोजेक्ट पिछले पांच सालों से लटके हुए हैं। रूसा के काम में भी देरी की बड़ी वजह भी वन मंजूरी न मिलना सामने आया है। देरी से मंजूरी आने के कारण काम भी देरी से शुरू हुआ। इसमें तर्क दिया गया है कि पहले यूटेलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा करवाओं उसके बाद ही अगली ग्रांट जारी होगी।
