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धर्मशाला के झियोल में जलशक्ति विभाग की सबसे बड़ी लापरवाही

29 Jan 2024 4:24 AM GMT
धर्मशाला के झियोल में जलशक्ति विभाग की सबसे बड़ी लापरवाही
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कांगड़ा। एक-एक पैसे को जूझ रहे हिमाचल में जलशक्ति विभाग ने लाखों रुपए का सोलर सिस्टम बर्बाद कर दिया। झियोल पंचायत में खड्ड किनारे बेशकीमती उपकरण जंग खा गए हैं। दूसरी ओर अफसर इस पर कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं। जानकारी के अनुसारधर्मशाला हलके के तहत झियोल में हिम ऊर्जा और जलशक्ति विभाग …

कांगड़ा। एक-एक पैसे को जूझ रहे हिमाचल में जलशक्ति विभाग ने लाखों रुपए का सोलर सिस्टम बर्बाद कर दिया। झियोल पंचायत में खड्ड किनारे बेशकीमती उपकरण जंग खा गए हैं। दूसरी ओर अफसर इस पर कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं। जानकारी के अनुसारधर्मशाला हलके के तहत झियोल में हिम ऊर्जा और जलशक्ति विभाग ने सैकड़ों लोगों को पानी की सप्लाई बिजली की जगह सोलर एनर्जी से करनी थी। झियोल के साथ घियाणा गांव को इस सिस्टम से पानी की सप्लाई होनी थी। साल 2016-17 में दोनों विभागों ने इसे लगाते समय अपनी पीठ खूब थपथपाई और इसे इंस्टाल भी कर दिया। उसके बाद दोनों विभाग इस पैनल को भूल गए। झियोल पंचायत में नोड खड्ड किनारे यह सिस्टम लगाया गया था। उस समय दावा किया गया था कि हिमाचल में यह इस तरह का अनूठा सिस्टम है, लेकिन इसकी जमकर अनदेखी हुई। बताते हैं कि शरारती तत्वों ने इसमें तोडफ़ोड़ भी की। अब ये लाखों के बेशकीमती उपकरण जंग खा रहे हैं।

सबसे शर्मनाक बात तो यह है कि इस सिस्टम को दरकिनार करके जलशक्ति विभाग ने चुपके से इस प्राजेक्ट से होने वाली ड्रिंकिंग वाटर की सप्लाई के लिए बिजली का ढांचा लगा दिया। अब यह सब ही करना था, तो लाखों रुपए का यह तामझाम क्यों बर्बाद किया। भाजपा जिला उपाध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि इस मामले में सरकार को जांच करवाकर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। किसान विजय ने कहा कि सरकारी पैसे की बर्बादी का इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं है। दोनों विभाग इसमें बराबर के दोषी हैं। बहरहाल मामला सामने आने के बाद दोनों विभागों के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। जलशक्ति विभाग के एसई दीपक गर्ग ने तर्क दिया कि यह प्रोजेक्ट 2016-17 में लगा था। जलशक्ति विभाग और हिम ऊर्जा ने इसे लगाया था। उचित रखरखाव न होने की वजह से यह पायलट प्रोजेक्ट मौजूदा समय में सिर्फ बिजली पर चलता है। सोलर पैनल लोगों ने तोड़ दिए जो डैमेज हो गए। नई तकनीक थी, पैनल लो हाइट पर रखे थे। इस वजह से नुकसान हुआ। इस मामले को हिम ऊर्जा विभाग के साथ उठाया जाएगा ताकि मकसद पूरा हो। अब सवाल यह है कि अगर विभाग को प्रोजेक्ट की नाकामी के बारे में पता था, तो इतने साल क्यों इसपर काम नहीं किया।

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