
भराड़ी। बिलासपुर जिला में अमृत सरोवर के नाम पर रिक्त स्थान भरो वाली बात साबित हो रही है। सरकार की इस योजना का घुमारवीं उपमंडल की ग्राम पंचायत दधोल में दम फूल गया है। पिछले लंबे समय से निर्माणाधीन अमृत सरोवर का काम आज तक पूरा नहीं हो पाया। हालांकि औपचारिकता के लिए एक बोर्ड जरूर …
भराड़ी। बिलासपुर जिला में अमृत सरोवर के नाम पर रिक्त स्थान भरो वाली बात साबित हो रही है। सरकार की इस योजना का घुमारवीं उपमंडल की ग्राम पंचायत दधोल में दम फूल गया है। पिछले लंबे समय से निर्माणाधीन अमृत सरोवर का काम आज तक पूरा नहीं हो पाया। हालांकि औपचारिकता के लिए एक बोर्ड जरूर टंगा दिया गया है लेकिन इस बार भी न बजट और न ही अन्य विशेष उल्लेख किया है जिसके चलते सवाल उठना लाजिमी है। ऐसे हालात में यह अमृत सरोवर मजाक बनकर रह गया है। हालांकि जिला के अन्य स्थानों पर अमृत सरोवर बने हैं। घुमारवीं उपमंडल की ग्राम पंचायत दधोल के अंतर्गत आने वाले गांव छंदोह में सरकार द्वारा चलाई योजना अमृत सरोवर केवल खानापूर्ति मात्र है। इस योजना को शुरू करने में सरकार की जो सोच थी उसका उद्देश्य पूर्ण होता नहीं दिख रहा।
इस योजना के तहत पंचायतों को वर्षा के जल को संग्रहित कर के पानी को संरक्षित करना है ताकि भूमि का जो जलस्तर कम हो रहा है उसको बचाया जा सके। लेकिन इस योजना को केवल पत्राचार तक ही सीमित रखा गया है। कागजों में अमृत सरोवर बिल्कुल सही है लेकिन जब उनको धरातल पर देखा जा रहा है तो उनकी हालत दयनीय से भी बढक़र है। छंदोह गांव में जगंल के बीच देखने निर्माणाधीन अमृत सरोवर अधूरा है। न तो उसको सही आकार दिया गया है और न ही उसको सही तरीके से सरंक्षित किया गया है। ऊपर से जो योजना का बोर्ड है उसके ऊपर कार्य दिवस, कब कार्य शुरू हुआ कितनी अनुमानित लागत थी, अब तक कितना खर्च हुआ, और आगे कितना होगा ऐसा कुछ भी अंकित नहीं है, जो कि शंका पैदा करता है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है।
इस विषय को लेकर जब दधोल ग्राम पंचायत की प्रधान कंचन शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह कार्य था तो मनरेगा के तहत लेकिन इसको करवाने वाली एजेंसी वन विभाग थी क्योंकि यह वन क्षेत्र पड़ता है और अमृत सरोवर का कार्य सही तरीके से न होने की वजह से इस काम को पंचायत द्वारा रुकवा दिया गया था। अभी इसके ऊपर 60 हज़ार के लगभग राशि व्यय की गई है और यह कार्य पूरा होना बाकी है। अभी तक कार्य अधूरा है और इसी वजह से वहां लगे बोर्ड पर कुछ भी अंकित नही गया है। इस विषय पर वन रक्षक (अतिरिक्त कार्यभार बीओ) संजय कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि छंदोह में बन रहे अमृत सरोवर की जांच एजेंसी वन विभाग थी और पंचायत की ओर से मनरेगा के तहत लेबर उपलब्ध करवाई जानी थी लेकिन पैसा और लेबर न होने की वजह से यह कार्य अधूरा है।
