चंडीगढ़। सरस्वती बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन धूमन सिंह किरमच ने जोधपुर राजस्थान में स्थापित इसरो के रिमोट सेंसिंग स्टेशन पर जा कर उन सैटेलाइट को देखा जो लगातार सरस्वती नदी के बहाव की तस्वीरे भेज रहे है। इस केंद्र को देखा जहाँ पर सरस्वती नदी पर शोध व इसरो द्वारा भविष्य में कैसे स्पेस यान …
चंडीगढ़। सरस्वती बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन धूमन सिंह किरमच ने जोधपुर राजस्थान में स्थापित इसरो के रिमोट सेंसिंग स्टेशन पर जा कर उन सैटेलाइट को देखा जो लगातार सरस्वती नदी के बहाव की तस्वीरे भेज रहे है। इस केंद्र को देखा जहाँ पर सरस्वती नदी पर शोध व इसरो द्वारा भविष्य में कैसे स्पेस यान देश की प्रगति में शामिल हो सकते है
भारत का भविष्य अब स्पेस की योजना पर निर्भर होगा ऐसा इस सेंटर में आकर देखा। अभी तक स्पेस में जो सैटलाइट भेजे हैं सभी के सभी सरस्वती के पैलियो चैनल को सुबूत के तौर पर पेश कर चुके हैं और अब इस कार्य को धरातल पर लाने की तैयारी राजस्थान में है जिसको लेकर एक रिसर्च सेंटर जोधपुर या जयपुर में स्थापित करने का प्लान है।
सरस्वती बोर्ड की टेक्निकल समिति के सदस्य वह इस रोक के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर जे आर शर्मा व इस सेंटर के अधिकारियों से चर्चा हुई राजस्थान में सरस्वती बहती रही है इसको लेकर भी इन लोगों ने माना की सरस्वती यहाँ से बहती थी और आज भी उसके अंश यहाँ पर मिलते हैं।
सरस्वती की शाखा लूनी नदी जो लगभग राजस्थान के आधे हिस्से को क्रॉस करके गुजरात के रन ऑफ़ कच्छ में गिरती है उसके ऊपर भी शोध कार्य आरंभ किया जा रहा है माना ये जाता है कि लूनी नदी भी सरस्वती नदी का ही शाखा है और यह ख़ुद भी गुजरात उसी क्षेत्र में गिरती है जिसने सरस्वती नदी गिरती थी। विगत है कि अबकी बार सरस्वती नदी का पानी सिरसा ओ टू हैड से होते हुए राजस्थान में गया था इसी सतह को सरस्वती बोर्ड की टीम ने जाँचा और पाया कि वह सरस्वती का जो प्राकृतिक बहाव है और राजस्थान से होकर ही गुजरात में जाता है।