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स्मार्ट सिटी में निगम की नाक के नीचे डेयरी मालिक कर रहे मनमानी

17 Jan 2024 12:13 AM GMT
स्मार्ट सिटी में निगम की नाक के नीचे डेयरी मालिक कर रहे मनमानी
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फरीदाबाद:स्मार्ट सिटी में प्रतिबंध के बाद भी 765 डेयरियां संचालित हो रही हैं. यह खुलासा नगर निगम द्वारा कराए गए सर्वे में हुआ है. खास बात यह है कि अवैध रूप से चल रहीं डेयरियों पर कार्रवाई का जिम्मा भी निगम का है. बावजूद ये डेयरियां धड़ल्ले से संचालित हो रही हैं. डेयरियों से निकल …

फरीदाबाद:स्मार्ट सिटी में प्रतिबंध के बाद भी 765 डेयरियां संचालित हो रही हैं. यह खुलासा नगर निगम द्वारा कराए गए सर्वे में हुआ है. खास बात यह है कि अवैध रूप से चल रहीं डेयरियों पर कार्रवाई का जिम्मा भी निगम का है. बावजूद ये डेयरियां धड़ल्ले से संचालित हो रही हैं.

डेयरियों से निकल रहा गोबर शहर की सीवर लाइनों को जाम कर रहा है. वहीं, दो विधानसभा क्षेत्रों में डेयरी जोन न होने से सफाई व्यवस्था बिगड़ रही है. हाल ही में नगर स्वास्थ्य शाखा द्वारा कराए गए सर्वे में खुलासा हुआ कि शहर की विभिन्न कॉलोनियों में चल रहीं 765 डेयरियों में करीब साढ़े छह हजार से ज्यादा भैंस और गाय हैं. लोगों ने 50 से लेकर 200 गज में ये डेयरियां बनवा रखी हैं. डेयरी मालिक गोबर को कूड़ा केंद्रों पर डालते हैं या फिर सीवर लाइनों में बहा देते हैं. इससे निगम को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. सीवर लाइन को खुलवाने के लिए निगम के संसाधनों पर बोझ बढ़ रहा है तो दूसरा कूड़े में गोबर मिला देने से आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है.

निगम के संबंधित शाखा के अधिकारियों का अनुमान है कि शहर की इन डेयरियों से प्रतिदिन 0 टन गोबर निकल रहा है. एक अधिकारी ने बताया, बंधवाड़ी जाने वाले कूड़े में गोबर मिलने पर निगम को ज्यादा बिल देना पड़ता है. कूड़ा निस्तारण के नियमों के तहत गोबर को कूड़े में मिलाया नहीं जा सकता है. कुछ गोबर को पशु पालकों द्वारा सड़क किनारे ऊपले बनाने के लिए छोड़ दिया जाता है.

एनआईटी और बड़खल क्षेत्र में डेयरी जोन की जरूरत
एनआईटी और बड़खल क्षेत्र में डेयरी जोन नहीं है. इसके मद्देनजर दोनों विधानसभा क्षेत्रों में डेयरी जोन बनाने की जरूरत है. निगम प्रशासन भी दोनों क्षेत्रों में डेयरी बनाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेज चुका है. फिलहाल अभी तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

डेयरियों के लिए आवंटित हुए थे प्लॉट: डेयरियों को शहर से बाहर करने के लिए प्रदेश सरकार ने ताऊ देवी लाल डेयरी योजना शुरू की थी. निगम ने योजना के तहत सन् 2005-06 में शहर के अंदर चल रहीं डेयरियों को बाहर करने के लिए बसेलवा कॉलोनी और बल्लभगढ़ के मिर्जापुर में 250 प्लॉट आवंटित किए थे. इनमें योजनाओं के तहत 70 से लेकर 250 गज तक के प्लॉट दिए गए थे. कुछ डेयरी मालिकों ने प्लॉट लेने के बावजूद यहां डेयरियां नहीं खोलीं.

पांच हजार तक चालान का नियम: यदि कोई पशु पालक शहर की सड़कों पर गोबर डालता है या फिर सीवर लाइन में बहाता है तो पांच हजार के जुर्माने का प्रावधान है. जुर्माने के अलावा निगम गोबर डालने वालों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवा सकता है.
गोबर के लिए वेंडरों के ट्रैक्टर-ट्रॉली की व्यवस्था की गई है. कुछ गोबर का बागवानी में भी इस्तेमाल किया जा रहा है. प्रशासन सीवर में गोबर डालने वालों की पहचान के लिए सर्वे करता रहता है. -बिशन सिंह तेवतिया, वरिष्ठ सफाई निरीक्षक, नगर निगम

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