हरियाणा

अवैध निर्माण करवाने वाले चार अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दर्ज

23 Jan 2024 12:00 AM GMT
अवैध निर्माण करवाने वाले चार अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दर्ज
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गुडगाँव: प्रतिबंधित दायरे में एक बिल्डर ने निगम अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके लॉकडाउन के दौरान 1200 गज में चार मंजिला इमारत खड़ी कर दी. इसका खुलासा निगम की विजिलेंस टीम द्वारा की गई जांच में हुआ. मामले में निगम के चार अधिकारी दोषी पाए गए हैं. निगमायुक्त ने चारों को चार्जशीट करने के आदेश …

गुडगाँव: प्रतिबंधित दायरे में एक बिल्डर ने निगम अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके लॉकडाउन के दौरान 1200 गज में चार मंजिला इमारत खड़ी कर दी. इसका खुलासा निगम की विजिलेंस टीम द्वारा की गई जांच में हुआ. मामले में निगम के चार अधिकारी दोषी पाए गए हैं. निगमायुक्त ने चारों को चार्जशीट करने के आदेश दिए हैं. स्थानीय वेलफेयर एसोसिएशन ने अवैध इमारत की शिकायत प्रधानमंत्री को थी. उसके बाद निगम ने इसकी जांच विजिलेंस टीम से करवाई थी.

ऐसे हुआ मामले का खुलासा : संजयग्राम वेलफेयर एसोसिएशन ने बिल्डर के खिलाफ एक शिकायत प्रधानमंत्री को भेजी थी. उसमें निगम अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगाया गया था. शिकायत के आधार पर निगम की विजिलेंस विंग मामले की जांच की तो खुलासा हुआ कि 2020 से लेकर 2022 तक लॉकडाउन के दौरान बिल्डर ने एक 1200 गज में चार मंजिला इमारत बनाई थी, जिसमें 48 फ्लैट बने हुए हैं. इसके अलावा एक अन्य 0 गज में पांच मंजिला इमारत बनाई गई है. जांच में पता चला कि आयुध डिपो के दायरे में हाईकोर्ट के आदेशानुसार किसी भी प्रकार नया निर्माण नहीं किया जा सकता. इसके बावजूद बिल्डर ने लॉकडाउन के दौरान इतनी बड़ी इमारत खड़ा कर दी. इमारत निर्माण के दौरान जिन अधिकारियों को यहां नए निर्माण की रोकथाम की जिम्मेदारी थी, उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का पालन नहीं किया. अधिकारियों ने इस इमारत को तोड़ने की कार्रवाई तक नहीं की. विजिलेंस टीम ने मामले की जांच में एसडीओ दिनेश कुमार, एसडीओ दिलिप यादव, एसडीओ आशीष हुडा और एक अन्य एसडीओ को इसमें दोषी पाया है.

अफसरों के जवाब संतोषजनक नहीं पाए: संजय ग्राम वेलफेयर एसोसिएशन ने दिसंबर 2020 में इसकी शिकायत प्रधानमंत्री, जिला उपायुक्त, निगमायुक्त को भेजी थी. इसके बाद से लगातार यह शिकायत फाइलों में ही घूमती रही. बीते साल तत्कालीन निगमायुक्त पीसी मीणा ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए इसकी जांच निगम की विजिलेंस को सौंपी थी. टीम ने मौके का मुआयना किया. इमारत निर्माण के दौरान जिन-जिन अधिकारियों को अवैध निर्माण की रोकथाम का कार्य दिया गया था उनको नोटिस देकर जांच में शामिल किया गया, लेकिन उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया.

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