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फिर भी अच्छी शुरुआत और कैरेक्टर्स के थ्रिल के लिए आप इस सीरीज को एक बार देख सकते हैं।
ताहिर राज भसीन, श्वेता त्रिपाठी और आंचल सिंह स्टारर वेब सीरीज ये काली काली आंखें रिलीज हो चुकी है। इसमें एक फिक्शनल टाउन ओंकारा की कहानी दिखाई गई है। जहां विक्रांत (ताहिर राज भसीन) नाम का एक लड़का है और वो अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरे करके घर आ चुका है। बचपन से ही पूरवा (आंचल सिंह) नाम की लड़की को उस पर क्रश था। उसके वापस आने से पूरवा बहुत खुश होती है। पूरवा के पिता अखराज अवस्थी एक पावरफुल पॉलिशियन हैं, जो अपनी बेटी की खुशी के लिए किसी भी हद्द तक जा सकते हैं।
अब मामला यहां ये फंसता है कि विक्रांत के पिता (बिजेंद्र काला) चाहते हैं विक्रांत अखराज के घर जाकर उनसे मिले और वहीं काम भी करे, क्योंकि अखराज का विक्रांत के पिता पर काफी कर्ज है। जब विक्रांत अखराज के घर पहुंचता है तो पूरवा बड़ी खुशी से उसे बताती है कि उसे उसकी जुंबा क्लास का मैनेजर बनाया गया है। लेकिन विक्रांत को कोई खुशी नहीं होती क्योंकि वो इंजीनियरिंग करके यहां ये जॉब करने नहीं आया था। विक्रांत को तो उसकी कॉलेज मेट शिखा अग्रवाल से शादी करनी थी और भिलाई में नौकरी करते हुए उसके साथ रहने का सपना था।
शिखा को प्रपोज करके जब अगले दिन विक्रांत अखराज को ये बताने जाता है कि वो ये जॉब नहीं कर सकता तो वहां कुछ ऐसा हो जाता है जिससे वो पूरी तरह से हिल जाता है। वो पूरवा के पास ये बताने के लिए जाता है कि वो उसके परिवार के साथ काम नहीं कर सकता। लेकिन वहां भी ये तो साफ हो जाता है कि पूरवा से चंगुल छुड़ाना अब आसान नहीं है। आगे क्या होता है इसके लिए तो आपको सीरीज देखने होगी।
ताहिर राज भसीन ने सीरी में कमाल की एक्टिंग की है। हर एक्टर ने अपना किरदार बखूभी निभाया है। स्टोरी लाइन भी ठीक है। कहीं कहीं पर आपको एकदम फ्रेश ड्रामा मिलेगाा जिसकी आपने उम्मीद भी नहीं की होगी। इन सबके बावजूद आखिर तक आते आते आप इस थ्रिलर से वो उम्मीद नहीं रख पाते जो आपने पहले एपिसोड से शुरु किया होता है। सिद्धार्थ सेन गुप्ता ने 8 एपिसोड की इस सीरीज को एकदम से खत्म कर दिया है। जो कि आपको अटपटा लगेगा। फिर भी अच्छी शुरुआत और कैरेक्टर्स के थ्रिल के लिए आप इस सीरीज को एक बार देख सकते हैं।
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