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बिग बॉस जैसे रिऐलिटी शोज़ को लाख गालियां दे दें, पर घूम-फिरकर
मनोरंजन | हम बिग बॉस जैसे रिऐलिटी शोज़ को लाख गालियां दे दें, पर घूम-फिरकर वहां पहुंच ही जाते हैं. डांस, सिंगिंग, गेम शोज़ जैसे कई रिऐलिटी शोज़ यूं तो बिना किसी पूर्व निर्धारित कहानी और पटकथा के होते हैं, यह बात अलग है उनपर स्क्रिप्टेड होने का आरोप लगता रहा है. वास्तविक लोग, वास्तविक घटनाएं और वास्तविक ज़िंदगी की बात करनेवाले इन शोज़ ने क़रीब डेढ़ दशक पहले टीवी पर चली आ रही सास-बहू सीरियल्स की मोनोपोली को तोड़ा था. तमाम बदनामी सहने के बाद भी ये शोज़ मनोरंजन को नया आयाम देते रहे हैं. आख़िर ऐसा क्या ख़ास है रिऐलिटी शोज़ में जो लोग उन्हें इस क़दर पसंद करते हैं? आइए इसके कुछ कारणों की पड़ताल करते हैं.रोचकता और रॉ इमोशन पसंद करते हैं हम भारतीय
इसमें कोई शक़ नहीं कि डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म्स के आने के बावजूद अब भी टीवी मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन है. पर पिछले कुछ अर्से से मनोरंजन के इस साधन के कार्यक्रमों में एकरसता आ गई थी. इस एकरसता को तोड़ने का काम किया है रिऐलिटी टीवी ने.
रिऐलिटी शोज़ के लोकप्रिय होने का कारण यह है कि लोग फ़ैमिली ड्रामा, ख़ासकर सास बहू सीरियल्स से उकता चुके थे. उनके मनोरंजन का स्वाद बदलने की ज़रूरत थी. रिऐलिटी टीवी ने उनके मनोरंजन का स्वाद बख़ूबी बदला है. चूंकि ऐसे शोज़ बिना किसी पूर्व निर्धारित स्क्रिप्ट और डायलॉग्स के होते हैं, अत: ‘आगे क्या होगा’ वाली रोचकता बनी रहती है.
बिग बॉस जैसे रिऐलिटी शोज़ के दौरान प्रतियोगी साथ रहते हैं. उनकी एक दूसरे से दोस्ती होती है. कुछ प्रतियोगियों की आपस में नहीं बनती. जीतने के लिए वे कई बार चालाकियां भी करते हैं. इस तरह हम कह सकते हैं कि रिऐलिटी शोज़ में दोस्ती, प्यार, दुश्मनी जैसी भावनाओं की विस्तृत रेंज होती है. हम भारतीयों को भावनाओं में बांधे रखना आसान होता है. यही कारण है कि रिऐलिटी शोज़ को इतनी जल्दी सफलता मिल जाती है.
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