x
मैंने कहा मुझे बस अच्छा किरदार चाहिए। मैं आपकी भाषा सीखूंगा। वहां मुझे इज्जत और काम दोनों मिले।
अभिनेता विवेक ओबेरॉय हाल ही में अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई वेब सीरीज 'इनसाइड एज' के तीसरे सीजन में नजर आए हैं। वह फिल्मों के निर्माण में भी व्यस्त हैं। अगले साल विवेक फिल्म इंडस्ट्री में 20 साल पूरे करेंगे। करियर के सफर पर उनसे बातचीत के अंश:
अब तो बहुत सारा काम है। इतने वर्षों तक प्रासंगिक बने रहना चुनौतीभरा रहा?
मैंने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। इन्हीं से इंसान का कैरेक्टर बनता है। आपको अपनी ताकत का अंदाजा लगता है। एहसास होता है कि कितना कठिन समय निकाल लिया। अब मुझे कोई तोड़ नहीं सकता है, मैं स्ट्रांग हूं। आज अच्छा समय चल रहा है, इसका भी मजा ले रहा हूं। मुझे हमेशा से यह बात बहुत कठिन लगती थी कि आगेबढ़ने के लिए किसी के दरबार में जाकर सलामी दो, किसी लाबी का हिस्सा बन जाओ, फिर काम मिलेगा। कला दिखाने की इंडस्ट्री है, यहां कला की कद्र होनी चाहिए।
जब भावुक दृश्यों को महसूस करके निभाते हैं या कोई निगेटिव किरदार करते हैं तो उससे बाहर निकलने की प्रक्रिया आपके लिए क्या होती है?
मेरे पास इसके लिए एक जादू की बूटी है, वह हैं मेरे बच्चे। मैं उनके साथ होता हूं तो सारा तनाव चला जाता है। अगर मैं कहीं आउटडोर पर हूं तो उन्हें वीडियो काल कर लेता हूं, उनकी मजेदार बातें सुन लेता हूं। मेरे बच्चे मुझे याद दिलाते हैं कि मैं कौन हूं। वे मुझे किरदार से अलग कर देते हैं। जब डिजिटल प्लेटफार्म नया था, तब आपने 'इनसाइड एज' वेब सीरीज की थी। आज यह माध्यम बड़ा बन गया है।
आपको दूरदर्शी कहना सही होगा?
मैं इसे पागल से दूरदर्शी बनने तक का सफर कहूंगा। जब भी मैंने कोई काम किया, लोगों ने पागल कहा। उदाहरण के तौर पर जब मैंने फिल्मों में काम करना शुरू किया तो चलन यही था कि इंडस्ट्री में स्टार किड तैयार हो गया है, उसके पापा उसे राकेट की तरह लांच करेंगे। एक रील बनायी जाएगी कि मेरा बेटा घुड़सवारी, तलवारबाजी, डांस, रोमांस सब करता है, डिजाइनर कपड़ों में बहुत चमकता है। इस तरह का लांच मेरा नहीं हुआ। मैंने 'कंपनी' फिल्म की, जिसमें मैंने कोई डिजाइनर कपड़े नहीं पहने, झुग्गी में जाकर महीनाभर रहकर अपने किरदार को बनाया। परफार्मेंस दिखाने जब उतरा तो लोगों ने कहा कि यह तो एक फिल्म के बाद खत्म हो जाएगा, कैरेक्टर एक्टर बनकर रह जाएगा। फिल्म हिट हो गई तो लोगों ने कहा कि यह तो दूरदर्शी है। फिर सबने कहा कि अब एक्शन फिल्में करो, लेकिन मैंने रोमांटिक फिल्म 'साथिया' की, फिर सबने कहा कि तुम पागल हो। एक फाइट सीक्वेंस फिल्म में डलवाओ। जब 'इनसाइड एज' वेब सीरीज से डिजिटल प्लेटफार्म पर कदम रखा, तब भी लोगों ने कहा कि क्या कर रहे हो, लोग सोचेंगे तुम्हारे पास काम नहीं है। जब शो को एमी अवार्ड में नामांकन मिला तो फिर से कहा गया कि यह आगे की सोचता है। मैंने किसी को गलत साबित करने के लिए कुछ नहीं किया, जो मेरे दिल ने कहा मैं वह करता गया। मुझे दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम करना था। मैंने वहां के निर्माताओं को फोन लगा दिया। उन्होंने कहा कि बजट और फीस उतनी नहीं दे पाएंगे। मैंने कहा मुझे बस अच्छा किरदार चाहिए। मैं आपकी भाषा सीखूंगा। वहां मुझे इज्जत और काम दोनों मिले।
Next Story