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जब युधिष्ठिर बने गजेंद्र की मां ने गूफी को वाकई मान लिया भाई

HARRY
5 Jun 2023 6:15 PM GMT
जब युधिष्ठिर बने गजेंद्र की मां ने गूफी को वाकई मान लिया भाई
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शकुनि मामा की गजब अदाकारी

दिवंगत अभिनेता गूफी पेंटल का सोमवार शाम मुंबई के ओशिवारा श्मशान गृह में अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनके निधन से पूरी इंडस्ट्री में शोक की लहर है। 'महाभारत' में उनके साथ काम करने वाले कलाकार उनकी मौत की खबर से बहुत दुखी हैं। इस धारावाहिक में धर्मराज युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले अभिनेता गजेंद्र चौहान ‘अमर उजाला’ से बातचीत के दौरान काफी भावुक नजर आए। वह कहते हैं, 'हमारा 40 साल का साथ रहा है और आज मैं रोहतक में हूं, उनके अंतिम संस्कार में नहीं पहुंच पाया। मैं उनसे अक्सर मजाक करता कि गूफी जी जब आप मरेंगे तो सबसे पहले मैं ही आऊंगा, लेकिन आज देखिए उनसे दूर हो गया।’

अभिनेता गजेंद्र चौहान ने बताया, 'गूफी पेंटल बहुत ही मददगार इंसान थे। 'महाभारत' की कास्टिंग में सभी कलाकारों की बहुत मदद की। वह बहुत अच्छे कलाकार थे, हम लोगों का 40 साल साथ रहा। उनके साथ हमारे पारिवारिक संबंध थे। कुछ वर्ष पहले उनकी पत्नी रेखा भाभी का इंतकाल हो गया था। अब गूफी जी चले गए। आदमी इतने सालों के बाद मेहनत करके एक मुकाम हासिल करता है, उसे दो-चार दिन के बाद सब भूल जाते हैं। जैसे सतीश कौशिक को ले लीजिये अभी उनके परिवार से मिलने के लिए कौन जाता है?’

कुछ समय पहले भी गूफी पेंटल बीमार थे तब उनकी हालत इतनी नाजुक नहीं थी। गजेंद्र चौहान ने बताया, 'पहले भी एक बार वह बीमार हुए थे और हिंदुजा हॉस्पिटल में उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी। उनके शरीर में पानी इकट्ठा होने लगता था जिसकी वजह से उनका शरीर फूल जाता था। उस समय शायद हार्ट की समस्या थी। अभी भी पिछले कुछ दिनों से अचानक बीमार हुए और उनका शरीर फूल गया था और आईसीयू में रहे, मैं रोहतक में हूं, फोन पर ही उनके बारे में खबर मिलती रहती थी। इस बार उनकी हालत बहुत नाजुक थी।’

गूफी पेंटल ने लंबे संघर्ष और अपनी मेहनत के बल पर जो मुकाम हासिल किया वह किसी के लिए इतना आसान नहीं। गजेंद्र चौहान कहते हैं, 'मैं यह कहूंगा कि जब इंसान अपनी जिंदगी शुरू करता है। संघर्ष और अपनी मेहनत के बल पर मुकाम हासिल करता है। वह मुकाम जल्दी किसी को मिलता नहीं है। लेकिन जो मिलता है वह एक झटके में टूट गया और वह डोर अलग हो गई। उनके साथ हम लोगों ने बहुत अच्छे दिन बिताए, उन्होंने अपना भरपूर जीवन जीया है। हल लोग भले ही अलग- अलग थे, लेकिन दिल के तार सभी से जुड़े हुए थे।’


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