मनोरंजन

जब टांग तुड़वाकर प्रीमियर में पहुंचे बॉबी देओल, यूं चमकीं ट्विंकल, पढ़ें दिलचस्प किस्सा

Gulabi
5 Oct 2021 10:14 AM GMT
जब टांग तुड़वाकर प्रीमियर में पहुंचे बॉबी देओल, यूं चमकीं ट्विंकल, पढ़ें दिलचस्प किस्सा
x
फिल्म ‘बरसात’ की रिलीज की तमाम तारीखें इंटरनेट पर मौजूद हैं

फिल्म 'बरसात' की रिलीज की तमाम तारीखें इंटरनेट पर मौजूद हैं। हालांकि, इसका प्रीमियर हुआ 5 अक्टूबर 1995 को और बॉबी देओल इसी तारीख को बतौर हीरो अपने करियर की शुरूआत का दिन मानते हैं। बॉबी देओल बताते हैं, 'फिल्म 'बरसात' के लिए मैंने पहला शॉट तब दिया था जब इसे शेखर कपूर निर्देशित कर रहे थे। मुझे एक विशालकाय सेट की सीढ़ियों से मुस्कुराते हुए नीचे उतरना था। ये बतौर हीरो मेरा पहला शॉट था। बाद में शेखर कपूर को 'बैंडिट क्वीन' निर्देशित करने के मौका मिल गया तो उन्होंने 'बरसात' छोड़ दी और राजकुमार संतोषी ने ये फिल्म निर्देशित की। फिल्म में जो मेरा पहला शॉट है, वह शूटिंग के आखिरी दिन फिल्माया गया है। और यही वह शॉट है जिसमें मैं अपना पैर तुड़वा बैठा था। पहली ही फिल्म के बाद मुझे लंबा गैप इसीलिए लेना पड़ा। यहां तक कि फिल्म 'गुप्त' की शूटिंग के दौरान भी मैं पूरी तरह ठीक नहीं हो पाया था। मैं नाचते समय भी पैर हिलाने से डरता था और बाद में वही मेरा डांसिंग स्टाइल बना दिया गया। राजकुमार संतोषी के साथ फिल्म करना अलग ही अनुभव हुआ करता था, वह मुझे और टीना (ट्विंकल खन्ना) को खूब प्रशिक्षित करते थे। अपनी फिल्म 'अंदाज अपना अपना' के गानों पर खूब नचाते। संतोषी जी कमाल के राइटर डायरेक्टर हैं, उनकी सिखाई हर बात मुझे अब भी याद है।'


कड़ी मेहनत के बाद हुआ बॉबी का डेब्यू

जिन दिनों बॉबी देओल फिल्मों में आए थे, लोगों ने न सिर्फ उनका बल्कि उनके आगे-पीछे आए तमाम स्टार पुत्र पुत्रियों का दिल खोलकर स्वागत किया था। बॉबी बताते हैं, 'हम फिल्मों में आए तो ये नहीं कि बस एक दिन तय किया और अगले दिन फिल्म करने लगे। कम से कम मेरी तो बहुत ज्यादा ट्रेनिंग हुई है। पापा ने मुझसे काफी मेहनत करवाई है मेरी पहली फिल्म से पहले। मैं डांस की ट्रेनिंग लेने जाता था। घुड़सवारी और बाइकिंग की ट्रेनिंग भी खूब हुई है मेरी। बाइक्स चलाने हम लोग जुहू बीच जाया करते थे, वहीं सलमान खान भी खूब आते थे। हमारी दोस्ती भी तभी की है। फिल्म 'बरसात' के दिनों की तमाम यादें हैं मेरी।' बॉबी की याददाश्त वाकई कमाल की है, वह 'बरसात' के बारे में तो ढेर सारी बातें करते ही हैं, उन्हें अपनी एक्टिंग की पहली कमाई भी अब तक याद है जो उनके पापा धर्मेंद्र ने उन्हें फिल्म 'धरमवीर' में उनके बचपन का रोल करने पर बॉबी को दी थी। बॉबी बताते हैं, 'मेरे एक्टिंग करियर की मेरी पहली लाइन थी, 'ये बात है बाबा तो ये लो' जो मैंने 'धरमवीर' के सेट पर बोली थी।' बॉबी ने उस दिन शूटिंग से लौटते समय धर्मेंद्र से शिकायत की कि एक्टिंग तो मुझसे करवा ली गई लेकिन फीस? धर्मेंद्र ने तब अपने पास से सौ सौ की नोटों की एक गड्डी बॉबी को पकड़ा दी। ये रुपये बॉबी ने जाकर अपनी दादी को दे दिए, जिन्होंने ये पूरी गड्डी अपने पोते पर निछावर करके घर में काम करने वालों में बांट दी।'

'बरसात' की पहली हीरोइन करिश्मा कपूर

फिल्म 'बरसात' रिलीज भले 1995 में हुई हो लेकिन बॉबी देओल को हीरो बनाने का काम धर्मेद्र ने इससे पांच साल पहले 1990 में ही शुरू कर दिया था। ये फिल्म पहले 'बादल' के नाम से बननी शुरू हुई थी और तब फिल्म की हीरोइन थीं करिश्मा कपूर। बॉबी और करिश्मा की फोटो एक अंग्रेजी पत्रिका के कवर पर छपी तो इंडस्ट्री में हलचल मच गई। करिश्मा कपूर को उसके बाद ऑफर दर ऑफर आने लगे। करिश्मा और बॉबी देओल ने फिल्म 'बादल' की करीब तीन हफ्ते तक शूटिंग भी की और फिर शेखर कपूर ये फिल्म छोड़कर चले गए। करिश्मा की मां बबीता इससे काफी घबरा गईं और उन्होंने तुरत फुरत निर्देशक के मुरली मोहन राव की फिल्म 'प्रेम कैदी' में करिश्मा को लॉन्च करने की स्वीकृति दे दी। फिल्म 'बरसात' में भी बॉबी देओल का नाम बादल ही है लेकिन फिल्म का नाम जानबूझकर 'बादल' नहीं रखा गया ताकि फिल्म पुरानी न लगे। फिल्म का हालांकि एक नाम 'जान' भी रखा गया। फिर ये बदलकर 'मेरी जान' हुआ, फिर कुछ दिनों के लिए इसका नाम 'जीत' भी रहा, फिर किसी ने सुझाया 'सातवां आसमान' और धर्मेंद्र ने इसका नाम तय किया 'सातों जहां'। ये टाइटल तब कमाल अमरोही ने अपने प्रोडक्शन हाउस के नाम रजिस्टर्ड करवा रखा था और उन्होंने धर्मेंद्र से अपनी अदावत के चलते ये टाइटल उन्हें दिया नहीं। इसके अलावा 'जान' नाम भी धर्मेंद्र को बहुत पसंद आया था लेकिन ये नाम सुभाष घई के पास रजिस्टर्ड था और उन्होंने भी धर्मेंद्र के बेटे की इस फिल्म के लिए ये नाम देने से मना कर दिया।

कहानी बागी प्रेमियों की

फिल्म 'बरसात' की कहानी बादल और टीना की है। बादल देहाती लड़का है और शहर के कॉलेज में एक दो 'मुठभेड़ों' के बाद उसे दौलतमंद सेठ की बेटी टीना से प्यार हो जाता है। सेठ दिनेश ओबेरॉय को ये रिश्ता मंजूर नहीं है। दिनेश की नजर टीना को विरासत में मिली दौलत पर है। वह टीना का सौतेला पिता है। उसका दोस्त अपने बेटे की शादी टीना से करने की योजना बना रहा है। और, यही बेटा एक दिन बादल पर मी टू का आरोप लगा देता है। कॉलेज में बवाल होता है लेकिन टीना गवाही देती है बादल के पक्ष में। फिर कहानी में पुलिस अफसर नेगी की एंट्री होती है, बादल का पिता भैरों गांव से शहर आता है। तमाम साजिशें होती हैं। बादल और टीना शहर से गांव भागते हैं तो नेगी के भेजे गुंडे उनका पीछा करते हैं। बचने बचाने की इन कोशिशों के दौरान ही टीना को अपने सौतेले पिता की असलियत पता चल जाती है। पहली फिल्म के हिसाब से फिल्म में बॉबी देओल का अभिनय और ट्विंकल का परदे पर आना बेहतर रहा। डैनी, मुकेश खन्ना और राज बब्बर जैसे सितारों ने तो अपनी वैसी ही एक्टिंग की जिसके लिए वह मशहूर थे, लेकिन बॉबी देओल ने अपने एक अलग अंदाज से लोगों को खूब प्रभावित किया। फिल्म तकनीकी रूप से बहुत मजबूत फिल्म रही। खासतौर से संतोष सीवन की फोटोग्राफी इसकी जान है।

बैसाखियों के सहारे प्रीमियर पर

फिल्म 'बरसात' का प्रीमियर 5 अक्टूबर 1995 को मुंबई में हुआ तो उसमें पूरी फिल्म इंडस्ट्री को न्यौता भेजा गया। धर्मेंद्र ने खुद सबको बुलावा भेजा और तमाम लोगों को फोन भी किए। वह दिन हिंदी फिल्म जगत का पहला ऐसा दिन था जब तकरीबन किसी भी स्टूडियो में कहीं कोई फिल्म शूट नहीं हो रही थी। सबने इस प्रीमियर में शामिल होने के लिए काम बंद रखा। बॉबी देओल बैसाखियों के सहारे प्रीमियर में पहुंचे। टांग में उनके तब लोहे की रॉड हुआ करती थी। फिल्म को प्रीमियर में ही लोगों ने खूब पसंद किया। बॉक्स ऑफिस पर भी फिल्म ब्लॉकबस्टर रही। करीब 10 करोड़ में बनी फिल्म ने तब करीब 40 करोड़ रुपये कमाए थे। फिल्म ने उस साल के फिल्मफेयर पुरस्कारो में चार पुरस्कार जीते। बेस्ट डेब्यू के दोनों पुरस्कार बॉबी और ट्विंकल को मिले। बेस्ट सिनेमैटोग्राफी का पुरस्कार संतोष सीवन ने जीता और बेस्ट साउंड डिजाइन का फिल्मफेयर पुरस्कार गया राकेश रंजन के खाते में। समीर ने फिल्म के लिए काफी अच्छे गीत भी लिखे थे और फिल्म में नदीम श्रवण का दिया संगीत साल के हिट संगीत में शुमा रहा। कुमार शानू, सोनू निगम, साधना सरगम, कविता कृष्णमूर्ति और अलका याग्निक के गाए ज्यादातर गाने फिल्म के लोगों को पसंद आए। इनमें से ये गाना उन दिनों म्यूजिक चैनलों पर खूब बजा।

चलते चलते...

फिल्म 'बरसात' की हीरोइन ट्विंकल खन्ना की भी ये डेब्यू फिल्म रही। हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया की बेटी ट्विंकल का करियर भी हिंदी सिनेमा में काफी शानदार रहा। बाद में अभिनेता अक्षय कुमार से शादी के बाद उन्होंने एक्टिंग से किनारा कर लिया। राजकुमार संतोषी से पहले जब शेखर कपूर इसे बना रहे थे तो करिश्मा कपूर इसकी हीरोइन थीं, ये बात में शुरू में ही बता चुका हूं। लेकिन, सिर्फ करिश्मा कपूर ही नहीं, इस फिल्म से अलग अलग चरणों में सोमी अली, लीजा रे, मधु सप्रे, राजेश्वरी लूम्बा और भाग्यश्री की पहन पूर्णिमा का भी नाम बतौर हीरोइन जुड़ा। धर्मेंद्र ने पाकिस्तान की एक लड़की सोमल का ऑडीशन भी इस फिल्म के लिए लिया था। पर बात बनी नहीं।

('बाइस्कोप' कॉलम में प्रकाशित यह आलेख बौद्धिक संपदा अधिकारों के तहत संरक्षित हैं।)
Next Story