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जब एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने चौकीदारी करके पाला पेट, आज मुंबई में बनाया सपनों का महल

jantaserishta.com
29 Jan 2022 11:33 AM GMT
जब एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने चौकीदारी करके पाला पेट, आज मुंबई में बनाया सपनों का महल
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नई दिल्ली: बेपरवाह होकर रास्ते पर निकलने वाले लोग मंजिल की परवाह नहीं करते. कुछ ऐसी ही कहानी नवाजुद्दीन सिद्दीकी की भी है. कभी पाई-पाई को मोहताज नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने मुंबई में अपना आलीशान बंगला बना लिया है. एक्टर के लिये ये बंगला रहने के लिये सिर्फ छत नहीं, बल्कि उनका सपना था. जिसे पूरा करने के लिये उन्होंने दिन-रात एक कर दिया. खुशी के पल में नवाजुद्दीन सिद्दीकी के संघर्ष को नहीं भूला जा सकता. चलिये जानते हैं कि ये मुकाम हासिल करने से पहले उन्होंने कितने बुरे दिन गुजारे हैं.

नवाजुद्दीन सिद्दीकी का जन्म यूपी के मुजफ्फरनगर शहर के छोटे से शहर बुढ़ाना में हुआ था. नवाजुद्दीन एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे. बचपन से ही उन्हें टीवी शोज-फिल्म देखने का काफी शौक था. पर अफसोस वो इतने अमीर नहीं थे कि घर पर टीवी ला सकें. उस समय गांव में एक या दो टीवी हुआ करते थे. सारे गांव वाले मिल कर उन्हीं टीवी पर अपना पसंदीदा शो देखते थे. नवाजुद्दीन भी गांव के बच्चों के साथ मिलकर शोज-फिल्म देखने पहुंच जाते थे.
टीवी पर जब नवाजुद्दीन सिद्दीकी कलाकारों की एक्टिंग देखते, तो उनके मन में भी एक्टर बनने का ख्याल आता है. अपने इसी सपने को पूरा करने के लिये उन्होंने दिल्ली के 'नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा' में एडमिशन लिया. एडमिशन तो जैसे-तैसे हो गया पर दिक्कत ये थी कि उनके पास रहने के लिये घर नहीं था. ऐसे में वो गुजारा करने के लिये चौकादार की नौकरी करने लगे. दिन मुश्किल, लेकिन हौसले बुलंद थे.
कई मुश्किलों से गुजरने के बाद भी नवाजुद्दीन सिद्दीकी को हार मानना मंजूर नहीं था. दिल्ली से एक्टिंग का कोर्स पूरा करने के बाद उन्होंने मुंबई की राह पकड़ी. मुंबई की ग्लैमरस लाइफ में उन्हें एक नहीं, बल्कि तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा. सांवला रंग और पतली सी कद-काठी वाले नवाजुद्दीन को जो देखता यही कहता कि उनकी पर्सनालिटी हीरो जैसी नहीं है.
मुंबई आकर उन्होंने वो दिन भी देखे जब उनके पास एक वक्त का खाना खाने के लिये पैसे नहीं होते थे. कई बार मन में गांव लौटने का ख्याल आया. पर उन्होंने ऐसा किया नहीं. वो दिन-रात एक्टर बनने के लिये मेहनत करते रहे. ऐसा करते-करते पांच साल बीत गये. आखिरकार वो लम्हा आ गया जब अनुराग कश्यप ने उन्हें 'ब्लैक फ्राईडे' में काम करने का मौका दिया. रोल छोटा, लेकिन नवाज की किस्मत खोलने वाला था. इसके बाद उन्हें 'न्यूयॉर्क' और 'देव डी' जैसी फिल्मों में काम करने का मौका मिला. पर असली पहचान उन्हें अनुराग कश्यप की सुपरहिट फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से मिली.
इसके बाद वो लगातार आगे बढ़ते गये और फिर कभी पीछे पलट कर नहीं देखा. ये उनकी मेहनत और किस्मत ही है, जो आज उनके पास घर, गाड़ी, पैसा और शोहरत सब कुछ है.
एक्टर को उनके नये आशियाने की ढेर सारी बधाई!





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