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जानी-मानी एक्ट्रेस सायंतनी घोष
जनता से रिश्ता वेबडेस्क।वो कहते हैं न आप एक बंगाली को कोलकाता से दूर ले जा सकते हैं लेकिन आप कोलकाता को बंगाली के दिल से नहीं निकाल सकते हैं. हम चाहे दुनिया के किसी भी कोने में रहें, दुर्गा पूजा को लेकर हमारा जोश और उत्साह बिलकुल वैसा ही होगा, जैसा हम अपने होमटाउन में महसूस करते हैं. ये कहना है टीवी की जानी-मानी एक्ट्रेस सायंतनी घोष का.
सायंतनी घोष इस साल भी मुंबई में रहकर ही दुर्गा पूजा सेलिब्रेट कर रही हैं. सायंतनी ने आजतक डॉट इन से अपने पूजा को लेकर उत्साह और तैयारी को लेकर ढेर सारी बातचीत की हैं. सायंतनी बताती हैं, 'बंगाली होने के नाते दुर्गा पूजा आपके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. हर बंगाली की ख्वाहिश होती है कि वो इस वक्त अपनी बंगाल की जमीन पर इस पूजा का लुत्फ उठाए. हालांकि कोविड प्रोटोकॉल और व्यस्त रूटीन की वजह से हमारी ख्वाहिश कहीं न कहीं दबी रह जाती है.'
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कोलकाता का दुर्गा पूजा मिस करती हूं
सायंतनी कहती हैं, 'कोलकाता तो कोलकाता है, उसका फील और माहौल अलग होता है. फैमिली और फ्रेंड्स के बीच फेस्टिवल सेलिब्रेट करने का मजा ही कुछ और होता है. मुंबई में मैं वो पूरा एक्सपीरियंस मिस करती हूं. पंडालों में जाकर पुष्पांजली देने का जो उत्साह है, वो बहुत ही अलग रहता है. मैं तो बहुत मिस करती हूं.
शॉपिंग भी एक सेलिब्रेशन होता था
पहले जिस तरह हम कपड़ें खरीदने के लिए त्योहारों का इंतजार किया करते थे, वो आजकल के ऑनलाइन शॉपिंग और मॉल्स ने हमारे उस एक्साइटमेंट को खत्म कर दिया है. हमारे यहां ऐसा नहीं होता था. जब तक हम कोलकाता में थे, तो हम सालभर दुर्गा पूजा का इंतजार किया करते थे कि इस वक्त कपड़े खरीदेंगे. फैमिली के साथ कपड़ों की शॉपिंग करने जाना भी एक अलग तरह का सेलिब्रेशन हुआ करता था.
देर रात बाहर रहने की मिलती थी परमिशन
दुर्गा पूजा मात्र ऐसा मौका होता था, जब हमें देर रात बाहर रहने की परमिशन मिला करती थी. हम सभी दोस्त देर रात तक पंडाल घूमा करते थे. बाहर के स्ट्रीट फूड का लुत्फ उठाया करते थे.
आइसक्रीम खाकर तोड़ती हूं पुष्पांजली
दुर्गा पूजा से जुड़ी मेरी एक याद जो कभी नहीं भूलती, वो है मेरे दादाजी के साथ घूमने की. पुष्पांजली के दौरान हम उपवास रखा करते थे. तो ऐसे में दादाजी हमें पुष्पांजली दिलवाकर मेरे छोटे भाई को बाहर घुमाने ले जाते थे. हमारी फास्टिंग तब आइसक्रीम से टूटा करती थी. अब इसे आप कस्टम कह लें या ट्रेंड, जिसे हम हर साल फॉलो करते थे. आज दादाजी हमारे बीच नहीं रहे हैं, लेकिन आज भी उनकी यादें जस की तस हैं.
अष्टमी में जरूर लेती हूं छुट्टी
मैं पिछले 16 साल से मुंबई में हूं. ऐसे में कई बार कोशिश की है कि पूजा में घर चली जाऊं. हालांकि वर्क कमिटमेंट की वजह से पिछले पांच सालों से कोलकाता जाना नहीं हो पाया है. जब भी मैं मुंबई में होती हूं, तो कोशिश यही रहती है अष्टमी के दिन मैं छुट्टी जरूर लूं. इस साल भी मैंने 13 अक्टूबर को छुट्टी ली है. मैं इस दिन साड़ी पहन पंडाल जाती हूं और पुष्पांजली भी देती हूं.
हम मिनी कोलकाता बना लेते हैं
वैसे मेरे सर्किल में जितनी भी बंगाली एक्ट्रेसेज होती हैं वो भी अपने होमटाउन नहीं जा पाती हैं, तो ऐसे में हमारी कोशिश होती है कि हम सभी एक साथ मिलें और दुर्गा पूजा सेलिब्रेट करें. आप जब हमें साथ देखेंगी, तो आपको मिनी कोलकाता वाली वाइव्स जरूर आएगी.
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