मनोरंजन

आखिर तक बांधे रखने में कामयाब वेब सीरीज 'कैंडी', तकनीकी टीम नंबर वन

Nidhi Markaam
8 Sep 2021 10:41 AM GMT
आखिर तक बांधे रखने में कामयाब वेब सीरीज कैंडी, तकनीकी टीम नंबर वन
x
चंदन रॉय सान्याल कमाल के कलाकार हैं। उनकी एक फिल्म ‘प्रॉग’ में उनका अभिनय उनके करियर में मील का पत्थर है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चंदन रॉय सान्याल कमाल के कलाकार हैं। उनकी एक फिल्म 'प्रॉग' में उनका अभिनय उनके करियर में मील का पत्थर है। ये फिल्म निर्देशित करने वाले आशीष आर शुक्ला ने इसके बाद वेब सीरीज 'अनदेखी' से खूब चर्चा पाई। चर्चा उनकी फिल्म 'बहुत हुआ सम्मान' की भी खूब हुई लेकिन इतर कारणों से। आशीष नई सोच के निर्देशक हैं। उनकी कहानियों के किरदारों का एक ग्राफ भी होता है लेकिन उनकी कहानियों के किरदार ऐसे भी लगते हैं जैसे आपने इनको पहले भी कहीं देखा है। ये दिक्कत तमाम उन नए निर्देशकों की है जो किसी किरदार को सोचने के लिए किसी रेफरेंस की तलाश में रहते हैं। वे पटकथा को आंखें बंद करके जब महसूस रहे होते हैं तो उनको पहले से देखा हुआ कुछ ऐसा चाहिए होता है जिससे वह अपने नए किरदार को कनेक्ट कर सकें। वेब सीरीज 'कैंडी' देखते हुए भी आपको 20 साल पहले रिलीज हुई फिल्म 'डॉनी डारको' से लेकर 'मसान', 'उड़ान' और और 'द लास्ट ऑवर' तक की याद आ सकती है, लेकिन जैसा कि इन दिनों हर फिल्म और वेब सीरीज के शुरू होने से पहले ही बता दिया जाता है कि ये समानताएं महज संयोग है। 'कैंडी' स्कूलों में फैलते नशे के कारोबार का एक अध्याय खोलती है। कहानी वही है, सोच नई है और अच्छी बात ये है कि सीरीज आखिर तक बांधे रखती है।


वेब सीरीज में इधर ये अच्छा हुआ है कि कहानियां सात आठ एपीसोड तक पूरी हो जाती हैं। वेब सीरीज 'कैंडी' भी आठ एपोसीड की है। 'कैंडी' माने टॉफी, कंपट, गोली। पहाड़ों की पृष्ठभूमि में गढ़ी कहानी 'कैंडी' में कैंडी का कारोबार है। कारोबार करने वाला इलाके के दिग्गज का बेटा है। मीडिया वाले इस सबसे मुंह फिराए रहते हैं। बेटा अपने पंजे सिकोड़ रहा है। लंबी छलांग की तैयारी है। और, इस बीच दिखता है मसान। दंत कथाओं सा एक किरदार। पहाड़ी इलाका है। धुंध है। कुहासा है। और, कत्ल हैं। पहाड़ों पर बसे गांवों में रहने वालों के पास डराने के तमाम किस्से हैं। मसान भी उनमें से निकला एक किस्सा है। नशे का किस्से जैसा ही कारोबार है। और, इन तमाम कपोल कल्पित कथाओं के बीच हैं दो ऐसे किरदार जिनमें एक पूरा फिल्मी मास्टर लगता है और दूसरी असली जैसी दिखने की कोशिश करने वाली पुलिस अफसर। अगर आप सस्पेंस थ्रिलर कहानियों के शौकीन है तो ये सीरीज आपके लिए है।


लेखन और निर्देशन के लिहाज से वेब सीरीज 'कैंडी' एक ठीक ठाक कोशिश कही जा सकती है। देबजीत और अग्रिम ने कहानी की पृष्ठभूमि सही तलाशी है। किरदार भी ठीक ठाक गढ़े हैं। इन किरदारों के सेट अप और पे बैक भी सोचे समझे हैं। बस इनके फ्लैशबैक कहानी में पैबंद जैसे हैं और इसके चोले के साथ मेल नहीं खाते। आशीष आर शुक्ल ने बतौर निर्देशक पहले से तैयार एक कहानी को परदे पर उकेरने के लिए कलाकार खुद चुने या निर्माताओं ने उन्हें अपनी तरफ से कास्टिंग करके दे दी, इसी में इस सीरीज का असली राज छुपा है।


आशीष का कैमरे के जरिये किरदारों का देखने का अपना एक सेट पैटर्न है। ये पैटर्न उन्होंने शुरू से पकड़ा हुआ है और इसमें प्रयोग कम ही कर रहे हैं। फराज खान को बतौर सिनेमैटोग्राफर यहां उनकी मदद करनी चाहिए थी। तकनीकी रूप से वेब सीरीज 'कैंडी' एक औसत सीरीज है जो निर्देशक के नजरिये से इसे अंजाम तक पहुंचाने में सफल रहती है। आशीष आर शुक्ला ने अपनी सीरीज के कलाकारों को उनके किरदारों के करीब रखने की भी ठीक ठाक कोशिश की है।


सीरीज में डीएसपी स्तर की पुलिस अधिकारी के रूप में ऋचा चड्ढा ने काफी सहज रहने की कोशिश की है। नोटपैड और पेन लेकर घूमते पुलिस अफसर हिंदुस्तानी वेब सीरीज में कम ही दिखते हैं। सच यही है कि डिजिटल इंडिया के दौर में भी पुलिसिंग प्रणाली अब भी इसी दौर से गुजर रही है। रोनित रॉय का अपने छात्रों के साथ बना भावनात्मक रिश्ता भी अच्छा काम करता है। ये और बेहतर होता अगर कहानी स्कूल की कक्षाओं से चलकर थोड़ा और गुजरती।


कलाकारों में मनु ऋषि चड्ढा इस बार उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। वह धीरे धीरे ऐसे किरदारों में टाइपकास्ट होते जा रहे हैं। उनके अभिनय का विस्तार भी किरदार दर किरदार कमजोर होता दिख रहा है। उन्हें अपने को थोड़ा आराम देकर अपने अभिनय में नए आयाम खोजने की कोशिश करनी चाहिए। इस लिहाज से वेब सीरीज 'कैंडी' का सरप्राइज हैं नकुल सहदेव। नकुल को परदे पर दिखते एक दशक से ज्यादा समय हो चुका है लेकिन लोगों ने उन्हें नोटिस करना अब जाकर शुरू किया है। उनमें अभिनय की नैसर्गिक प्रतिभा है। बड़े निर्देशकों की नजर भी उन पर है और सही मौका मिले तो वह लीड किरदारों को करने के लिए भी अब तैयार नजर आते हैं।


वेब सीरीज 'कैंडी' में जिन दो और लोगों ने बेहतर काम किया है, उनमें से शिल्पी अग्रवाल को कहानी के हिसाब से हकीकत के करीब के कॉस्ट्यूम सजाने के लिए पूरे नंबर मिलते हैं और नील अधिकारी ने एक सस्पेंस थ्रिलर के हिसाब से इसका संगीत बहुत कायदे से रचा है। नील ने दृश्यों के हिसाब से दर्शकों को कहानी के करीब लाने में निर्देशक की काफी मदद की है। उनके काम की तरफ लोगों का ध्यान वेब सीरीज 'बोस: डेड/अलाइव' से जाना शुरू हुआ और तब से वह लगातार खुद को तराशते जा रहे हैं। सीरीज को बोधादित्य बनर्जी के संपादन ने भी काफी चुस्त रखा है। फिल्म 'पिंक' के बाद से वह भी लगातार अपने काम से इंडस्ट्री को प्रभावित करते रहे हैं। सुबह शाम की भागदौड़ में घर से दफ्तर और दफ्तर से घर का सफर काटने के लिए ये सीरीज सही है।


Next Story