आज हम आपको ऐसे हीरो के बारे जानकारी दे रहे हैं जो कभी अपने पिता के साथ किसानी कार्य करता था. लेकिन अब वही एक बड़ा स्टार बन गया है.
यह जाना- माना चेहरा रहे पंकज त्रिपाठी हैं,. जो फिल्मों और वेब सीरीजों में काम कर चुके हैं जो अपना होम टाउम पटना छोड़कर 2001 में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में पढ़ाई करने के लिए दिल्ली आए और बाद में हिंदी फिल्म उद्योग में अभिनेता बनने के लिए 2004 में मुंबई चले गए.
पंकज त्रिपाठी ने फिल्मी करियर की शुरुआत में रन, अपहरण, रावण, ओमकारा और मिथ्या जैसी कई फिल्मों में छोटी भूमिकाओं में दिखाई दिए लेकिन उन्हें अनुराग कश्यप की 2 पार्ट वाली क्राइम थ्रिलर गैंग्स ऑफ वासेपुर में नोटिस किया गया. इसी फिल्म के बाद उन्हें लोकप्रियता मिली और फिर उन्हें थोड़े बड़े रोल ऑफर होने लगे.
एक इंटरव्यू में पंकज ने अपने स्ट्रगल के दौर के बारे में बताया था जिसमें उन्होंने कहा कि एक समय मुंबई में आकर उनके पास कोई काम नहीं होता था जिसके कारण उनकी पत्नी को एक स्कूल में टीचिंग करनी पड़ी. तब उनका घर पत्नी की सैलरी से चलता था. उन्होंने बताया था कि रोजमर्रा के खर्चों के लिए वह अपनी पत्नी की सैलरी पर निर्भर थे.
बता दें कि एक बार अपने शुरुआती दिनों में पंकज को 2004 में ऋतिक रोशन स्टारर और फरहान अख्तर निर्देशित लक्ष्य में काम किया था, लेकिन लास्ट एडिशन में फिल्म में उनके सीन्स काट दिए गए थे. इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक पुराने साक्षात्कार में उसी के बारे में साझा करते हुए पंकज ने खुलासा किया था. उन्होंने कहा था, ‘मुझे सूबेदार कुलदीप सिंह नाम के एक चरित्र की भूमिका के लिए चुना गया था.
आगे पंकज ने बताया कि ‘तब मैं अपनी पत्नी के साथ वहां अशोक सिनेमा हॉल में लक्ष्य देखने गया. पूरी फिल्म खत्म हो गई और मैं कहीं नजर नहीं आया. मेरी पीड़ा दोगुनी हो गई, इसलिए नहीं कि मेरा सीन काट दिया गया, बल्कि इसलिए क्योंकि यह खबर पहले ही अखबार में प्रकाशित हो चुकी थी. मैं बहुत तनाव में था. अगर खबर बाहर नहीं होती, तो मुझे इतना दबाव महसूस नहीं होता. मैंने सोचा कि अब जो भी इसे पढ़ेगा वो मुझे झूठा समझेगा, क्योंकि मैं एक ऐसे माध्यम में काम करता हूं जो इसका आधार झूठ है – हमारे पास नकली बेटा, नकली मां, नकली रिश्ते, नकली कहानियाँ हैं…लेकिन मैं इसे वास्तविक दिखाने की पूरी कोशिश करता हूं.’