सम्पादकीय

पाकिस्तान-बांग्लादेश के अभागे हिंदू: बांग्लादेश, पाक और अफगान में सताए गए हिंदू और सिख भारत आने को आतुर

Tara Tandi
11 Aug 2021 6:00 AM GMT
पाकिस्तान-बांग्लादेश के अभागे हिंदू: बांग्लादेश, पाक और अफगान में सताए गए हिंदू और सिख भारत आने को आतुर
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कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भारत सरकार से आग्रह किया है

[ राजीव सचान ]: कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि अफगानिस्तान में बचे-खुचे सिखों-हिंदुओं को जल्द भारत लाया जाए। उन्होंने विदेश मंत्री को लिखे पत्र में यह तो लिखा है कि अफगानिस्तान में रह रहे करीब सात सौ सिखों और हिंदुओं को जल्द से जल्द वहां से निकाला जाए, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि उन्हें भारत लाकर नागरिकता दी जाए या नहीं? वह शायद इसलिए संकोच कर गए, क्योंकि कांग्रेस उन दलों में अव्वल थी, जिसने नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए का जी भरकर विरोध किया था। जब यह कानून विधेयक के रूप में था, तब खुद शेरगिल ने उसकी व्याख्या कम्युनल एटम बम के रूप में की थी। शायद इसी कारण वह ऐसा कुछ नहीं कह सके कि अफगानिस्तान के सिखों और हिंदुओं को भारत लाकर उन्हें देश की नागरिकता दी जाए। पिछली सदी के आखिरी दशक में अफगानिस्तान में दो लाख से अधिक हिंदू और सिख थे, लेकिन अब करीब 650 सिख और 50 हिंदू ही वहां बचे हैं। यदि इन बचे-खुचे सिखों और हिंदुओं को भारत लाया जाता है तो अफगानिस्तान इन दोनों समुदायों से रिक्त हो जाएगा-शायद हमेशा के लिए। कुछ दशकों बाद यही स्थिति पाकिस्तान और बांग्लादेश की भी बन सकती है, क्योंकि इन दोनों ही देशों में अल्पसंख्यकों और खासकर हिंदुओं को सताने का सिलसिला कायम है।

पाकिस्तान में हिंदू मंदिर पर हमला

पिछले दिनों पाकिस्तान में एक मंदिर पर हमला कर वहां प्रतिमाओं को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया गया। चूंकि इस खौफनाक घटना के वीडियो सामने आ गए इसलिए पाकिस्तान सरकार भी सक्रिय हो गई और वहां के मुट्ठी भर मानवाधिकारवादी भी। कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। सरकार की ओर से यह कहा गया कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और मंदिर को हुए नुकसान की भरपाई भी की जाएगी, लेकिन ऐसी बातों से किसी को उत्साहित नहीं होना चाहिए। इसलिए और भी नहीं, क्योंकि जिस इलाके में मंदिर को निशाना बनाया गया, वहां के कुछ हिंदुओं के पलायन करने की भी खबरें हैं। एक हकीकत यह भी है कि इस तरह की घटनाओं के बाद जो त्वरित कार्रवाई होती दिखती है, वह अक्सर दिखावटी और दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के इरादे से होती है। पिछले साल पाकिस्तान में जब एक मंदिर को जलाने के बाद तोड़-फोड़कर नष्ट कर दिया गया था, तब भी पाकिस्तान सरकार ने सक्रियता दिखाई थी और कई लोग गिरफ्तार किए गए थे, लेकिन कुछ दिनों बाद पता चला कि वहां के हिंदुओं ने मंदिर जलाने-तोड़ने वालों को कथित तौर पर माफ कर दिया है। यह खबर सरकार के हवाले से आई, जिस पर कई हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई, लेकिन सरकार तो यही साबित करने पर आमादा थी कि हिंदुओं ने दंगाइयों को माफ कर दिया है। इस कारण आगे की कार्रवाई इसी हिसाब से हुई।

परेशान हिंदू जब भारत आ जाते हैं तो लौटने से करते हैं इन्कार

पाकिस्तान में मंदिरों पर हमले की घटनाएं आम हैं। हर चार-छह माह बाद किसी न किसी मंदिर पर हमला करने या फिर उसे अपवित्र करने की खबर आती ही रहती है। पाकिस्तान में जैसे मंदिरों पर हमले आम हैं, वैसे ही वहां के हिंदुओं और सिखों की लड़कियों को जबरन उठाकर उनसे निकाह करने की खबरें भी। शायद ही कोई सप्ताह ऐसा जाता हो जब पाकिस्तान में किसी हिंदू लड़की का अपहरण कर उसका निकाह किसी मुस्लिम से कराने की खबर न आती हो। इस काम में पुलिस, प्रशासन और अदालतें उन्हीं की मदद करती हैं, जो लड़की का अपहरण करते हैं। यही कारण है कि वहां के हिंदुओं को जब भी मौका मिलता है, किसी बहाने भारत आ जाते हैं और फिर लौटने से इन्कार करते हैं।

2030 तक बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा, पाक में हिंदुओं का भविष्य अंधकारमय

भारत विभाजन के समय पाकिस्तान में 21 प्रतिशत हिंदू थे। अब उनकी संख्या महज डेढ़ प्रतिशत रह गई है। पाकिस्तानी इस पर हैरान नहीं होते। वे यह बहाना गढ़ते हैं कि दरअसल 1971 में जब बांग्लादेश बना तो हिंदुओं की बड़ी संख्या वहीं रह गई। सच्चाई यह है कि 1974 में बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या 14 प्रतिशत थी। अब उनकी संख्या आठ प्रतिशत रह गई है। स्पष्ट है कि बड़ी संख्या में पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू या तो भारत भाग आए या फिर जबरन मुस्लिम बना दिए गए। ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अब्दुल बरकत ने 2016 में कहा था कि 2030 तक बांग्लादेश में एक भी हिंदू नहीं बचेगा। इस पर उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी है। कहना कठिन है कि 2030 तक पाकिस्तान के हिंदुओं का क्या होगा, लेकिन कोई भी अनुमान लगा सकता है कि वहां के अन्य अल्पसंख्यकों की तरह हिंदुओं का भविष्य भी अंधकारमय है।

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के लिए हालात अच्छे नहीं

बांग्लादेश में भले ही पाकिस्तान जितना धार्मिक अतिवाद न दिखता हो, लेकिन वहां अल्पसंख्यकों के लिए हालात अच्छे नहीं। इसका प्रमाण बीते दिनों खुलना जिले में चार मंदिरों पर हमला है। इस हमले के दौरान मंदिरों के आसपास रहने वाले हिंदुओं को भी निशाना बना गया। बांग्लादेश हो या पाकिस्तान या फिर अफगानिस्तान-यहां के हिंदू, सिख सताए जाने की स्थिति में भारत की ओर ही निहारते हैं, लेकिन भारत के लोग और खासकर यहां के विपक्षी दल उनके बारे में एक शब्द भी बोलना पसंद नहीं करते। पता करें कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में मंदिरों पर हमले की घटनाओं की किस दल ने निंदा की? सच तो यह है कि इन दलों का बस चले तो वे नागरिकता संशोधन कानून पर अमल भी न होने दें। आज जब जरूरत इस कानून में ऐसे संशोधन करने की है कि उक्त तीनों देशों के हिंदुओं और सिखों को कहीं आसानी से भारत की नागरिकता दी जा सके, तब दुर्भाग्य से कोई भी विपक्षी दल या फिर लिबरल बुद्धिजीवी इसकी पैरवी करने वाला नहीं दिखता। उनकी भी खामोशी देखें, जो रोहिंग्या को शरण देने के लिए बेचैन थे।


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