मनोरंजन

एक छत के नीचे दो अजनबी गुब्बारे उड़ने का ठिकाना ढूंढते

Manish Sahu
25 July 2023 7:34 AM GMT
एक छत के नीचे दो अजनबी गुब्बारे उड़ने का ठिकाना ढूंढते
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मनोरंजन: किसी के लिए भी अजनबी शहर में आना और सर्वाइव करना आसान नहीं होता. जब लड़कियां घर से विदा होती हैं तो वो नई जगह-नया माहौल पहली बार देखती हैं. यही चीज एक लड़के के साथ भी होती है. जब वो अपना घर छोड़कर दूसरी जगह काम करने आता है तो वो हर चीज से अंजान होता है. हर आने वाला पल अनसर्टेनिटी से भरा होता है. वो कहां रहेगा, कैसे रहेगा, क्या खाएगा, ऑफिस कैसा होगा, मकान मालिक कैसा होगा, ये सारे सवाल उसके मन में तैरते रहते हैं.
इसी तरह जब कोई बुजुर्ग अपनी वृद्धावस्था में होता है उस दौरान उसकी तन्हाई का अंदाजा लगा पाना सबके बस की बात नहीं. दुनिया के इस भागदौड़ भरे माहौल में वो खुद को बिल्कुल अकेला पाता है. अब जरा सोचिए कि अगर दो ऐसे अजनबी एक ही छत के नीचे रहने लगें तो यह बात दोनों के लिए कहना गलत नहीं होगी कि डूबते को तिनके का सहारा मिल गया. ऐसी ही कहानी है जियो सिनेमा पर रिलीज़ हुई वेब सीरीज़ दो गुब्बारे की.
क्या है कहानी
ये वेब सीरीज भी दो ऐसे ही कैरेक्टर की कहानी है. अजोबा(मोहन आगाशे) पुणे में अपने घर पर अकेले रहते हैं. उनकी फैमिली बाहर रहती है. कुछ समय पहले ही उनकी पत्नी का देहांत हो चुका है और इसी खालीपन के साथ अजोबा अपने जीवन के अंतिम दिन जी रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ रोहित (सिद्धार्थ शॉ) इंदौर से पुणे जॉब के लिए और अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए आया है. वो भी शहर में अंजान है और उसके जीवन में भी कई चुनौतियां हैं.
अब अजोबा और रोहित के बॉन्ड पर ही ये पूरी वेब सीरीज बनाई गई है. किस तरह से दोनों जिनकी उम्र का फासला इतना ज्यादा है वो आपसी समझ के साथ कुछ ही दिनों में इतने घुल-मिल जाते हैं कि लगता ही नहीं है कि वे कभी अजनबी थे. अजोबा की तन्हाई रोहित दूर कर देता है और रोहित की मूलभूत समस्याओं का निवारण अजोबा के पास होता है. अजोबा के सूने पड़े जीवन में रोहित एक रोनक की तरह आता है.
अब दोनों का ये साथ कबतक रहेगा. क्या जब अजोबा की तबीयत बिगड़ेगी और उसके घरवाले वापस आ जाएंगे तो रोहित को घर में जगह मिलेगी. क्या जो प्यार और अपनेपन का भाव कुछ दिनों में ही अजोबा और रोहित के बीच बन गया वो बीता कल हो जाएगा. क्योंकि जीवन कभी भी किसी इंसान के मन मुताबिक नहीं चलता. हर आने वाला पल एक चुनौती हो सकता है. दो गुब्बारे तो आपस में इत्तेफाक से टकराते हैं. अब वो हवा में कब तक साथ उड़ते हैं ये तो वेब सीरीज देखकर ही आप जान पाएंगे.
लेकिन इतना तो तय है कि इन दो गुब्बारों का मिलन दो कड़ी का मिलन है. वो कड़ी जो दो अजनबियों को जोड़ती है. दो पीढ़ियों को जोड़ती है. हर कोई सहारे कि तलाश में है. जीवन परस्पर मेल से चलता है. अजोबा-रोहित का ये मेल इस वेब सीरीज की जान है. ये मेल किसी शर्त के आधार पर नहीं बना है. बल्कि दो अलग-अलग शहर, अलग-अलग जनरेशन, और अलग-अलग स्वभाव के बीच आपसी समझ और प्यार के भाव से बना है.
वेब सीरीज देखें या नहीं?
अगर आप फिल्में या वेब सीरीज सिर्फ इंटेंस सीन्स के लिए देखते हैं तो ये वेब सीरीज आपके लिए नहीं बनी है. ये वेब सीरीज स्लो है. साफ-सुथरी है. ये धीरे-धीरे आपको जीवन के लुत्फ और मायने दिखाएगी. ये आपको किसी इंटेंस लेवल के लव या एक्शन सीन की सौगात नहीं देती है बल्कि आप इसके जरिए जीवन के अलग-अलग आयामों को समझ सकते हैं. लेकिन हर वो आदमी जो अपना परिवार छोड़कर बाहर रहता है वो शख्स इस वेब सीरीज के साथ जुड़ा महसूस करेगा. आप इस वेब सीरीज को अपने घरवालों के साथ देख सकते हैं.
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