इसके बाद दादा मुनि ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 1996 तक कई फिल्मों में काम किया. उन्होंने इस दौरान गंभीर, जासूसी, कॉमिक किरदारों को निभाया, जिन्हें लोगों ने काफी पसंद किया. आपको जानकार हैरानी होगी कि अशोक कुमार एक्टिंग के साथ चित्रकारी और होम्योपैथी की भी प्रैक्टिस किया करते थे. उनका मानना था कि एक्टिंग एक गंदा प्रोफेशन है. वह डायरेक्टर बनना चाहते थे.
नहीं बनना चाहते थे एक्टर
अशोक कुमार उनकी छोटी बहन के पति शशिधर मुखर्जी और हिमांशु राय की कंपनी बॉम्बे टॉकीज में साउंड इंजीनियर थे. राय ने अशोक कुमार से हीरो बनने के लिए कहा, लेकिन वो नहीं माने. बहुत समझाने के बाद राय ने कहा कि वो ही उन्हें इस मुसीबत से निकाल सकते हैं. उन्हें यकीन दिलाया कि उनके यहां अच्छे परिवारों वाले, शिक्षित लोग ही एक्टर होते हैं. दरअसल अशोक कुमार का मानना था कि हीरो-हीरोइनें निचले तबके के लोग बनते हैं.
एक्टिव रहने के लिए करते थे हेवी नाश्ता
क्या आपको पता है, अशोक कुमार जी सुबह का नाश्ता बड़े ही ठाठ से करते थे. उनका ये मानना था कि, एक्टर लोग पूरे दिन कड़ी मेहनत करते हैं और ब्रेकफास्ट दिन का सबसे महत्वपूर्ण भोजन होता है. इसी से पूरे दिन की ताकत मिलती है और साथ ही पूरे दिन सीन को करते हुए उनमें ऊर्जा बनी रहती थी.