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दिवाली पर लक्ष्मी पूजन में इसलिए चढ़ाया जाता है खील बताशे का प्रसाद
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। दिवाली का पर्व मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं। जिसमें से एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन भगवान राम चौदह वर्षों का वनवास पूर्ण करके और लंका पर विजय प्राप्ति करके अयोध्या वापस लौटे थे इसलिए उनकी प्रजा ने घी के दीपक प्रज्लित करके खुशियां मनाई थी। यही कारण है कि दीपावली की रात में घी के दीपक प्रज्वलित किए जाते हैं। इसके अलावा धार्मिक मान्यता है कि दिवाली की रात्रि मां लक्ष्मी का पृथ्वी लोक पर आगमन होता है और वे भक्तों पर अपनी कृप बरसाती हैं जिससे वर्ष भर आपका घर धन-धान्य से भरा रहता है। इसलिए दिवाली को धन-समृद्धि प्रदान करने वाला त्योहार कहा गया है। इस बार दिवाली का पर्व 04 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन मुख्य रूप से मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन किया जाता है और उनको मुख्य भोग प्रसाद के रूप में खील (धान का लावा) व बताशे अवश्य अर्पित किए जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि दिवाली पर मां लक्ष्मी को खील और मीठे बताशों या मीठे खिलौनो का भोग क्यों लगाया जाता है। जानिए इसके पीछे का कारण।
दिवाली इसलिए पर लक्ष्मी पूजा में क्यों चढ़ाए जाते हैं खील-बताशे
खील (जिसे धान का लावा भी कहा जाता है) यह चावलों से बनाकर तैयार किया जाता है। लक्ष्मी जी को खील अर्पित करने को प्राकृतिक कारणों से जोड़कर देखा जाता है। दिवाली के समय धान की फसल पककर तैयार हो जाती है इसलिए धन-धान्य की देवी मां लक्ष्मी की आभार व्यक्ति करने के लिए धान का लावा यानी खीलों को पहले भोग के रूप में लक्ष्मी जी को अर्पित किया जाता है। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को भोग में कुछ मीठा अवश्य अर्पित किया जाता है इसलिए खीलों के साथ मीठे खिलौने या फिर बताशे का भोग लगाया जाता है। अलावा इस दिन नए चावलों की खीर बनाकर भी मां लक्ष्मी को अर्पित की जाती है। लक्ष्मी जी को केसर की खीर प्रिय है इसलिए दिवाली के शुभ अवसर पर उन्हें खीर का भोग अवश्य लगाना चाहिए। इससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।
ये हैं खील बताशे चढ़ाने का ज्योतिष कारण
ज्योतिष में चावल को शुक्र का अनाज माना गया है और शुक्र को धन, वैभव का कारक ग्रह माना जाता है। शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी और शुक्र ग्रह को समर्पित होता है। मां लक्ष्मी भी धन-समृद्धि प्रदान करने वाली देवी हैं व इनके पूजन से शुक्र मजबूत होता है। इसी के साथ चावल को शुद्ध पदार्थ माना जाता है, इसलिए दिवाली पर चावल के द्वारा बनी खील चढ़ाने का ज्योतिष महत्व भी माना जाता है।