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1977 की इस फिल्म में थी 2 दोस्तों की जोड़ी, जय-वीरू पर पड़ गए थे भारी
Manish Sahu
27 Aug 2023 1:13 PM GMT

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मनोरंजन: बॉलीवुड में दोस्ती पर आधारित फिल्में बनाने का कल्चर बहुत पुराना है. साल 1957 में जब दिलीप कुमार और वैजयंती माला की ‘नया दौर’ आई तो हमें शंकर और कृष्णा की दोस्ती देखने को मिली. इस फिल्म ने ऑडियंस को दोस्ती का रियल मतलब समझाया. लेकिन जब साल 1964 में आई ‘दोस्ती’ आई तो इसने दोस्ती का नया पैरामीटर सेट किया. सुधीर कुमार सावंत और सुशील कुमार सोमाया स्टारर इस फिल्म की आज तक मिसाल दी जाती है. जब रमेश सिप्पी ने ‘शोले’ बनाई और जय-वीरू जैसे किरदार को पर्दे पर उतारा, तो दोस्ती के मायने ही बदल गए.
धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन की जोड़ी ने सदाबहार हो गई. आज तक आम लोग और फिल्मों में भी जय-वीरू की दोस्ती की मिसालें दी जाती है. दोस्ती के लिए हमेशा जीने-मरने के लिए तैयार. धर्मेंद्र और अमिताभ की दोस्ती पर आधारित इस फिल्म में ने न सिर्फ मिसालें दी बल्कि रिकॉर्डतोड़ कमाई भी की. लेकिन जय-वीरू की दोस्ती से भी बड़ी एक जोड़ी एक नई फिल्म में देखने को मिली.
इस फिल्म को मनमोहन देसाई ने डायरेक्ट किया था. इसका बजट ‘शोले’ भी ज्यादा था. इसमें धरम और वीर की दोस्ती को भुनाया गया. फिल्म का नाम आप समझ ही गए होंगे. जी हां, साल 1977 में आई ‘धरमवीर’ में धर्मेंद्र और जीतेंद्र की जोड़ी बनी थी. फिल्म का गाना ‘सात अजूबे इस दुनिया में’ जब आया, तो लोग शोले की ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे’ को भूल गए थे. हालांकि दोस्ती पर बने इन दोनों ही गानों को आज भी खूब सुना जाता है.
‘शोले’ और ‘धरम वीर’ का बजट और कलेक्शन
सैकनिल्क की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘शोले’ उस जमाने में 3 करोड़ रुपए में बनी थी और इसने 50 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया था. यह ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर फिल्म बनी. वहीं, ‘धरम वीर’ का बजट लगभग 2 करोड़ रुपए था और इसने कुल 13 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया था. फिल्म को शोले जितनी सफलता, तो नहीं मिल पाई लेकिन धरम-वीर दोस्ती पर फिल्माए गाने आज भी खूब सुने जाते हैं.
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