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गैंगरेप से जुड़ा वह किस्सा जिसने पूरे देश में ला दिया था भूचाल, आखिर क्यों अजमेर 92 फिल्म है इतनी विवादित

Manish Sahu
23 July 2023 4:39 PM GMT
गैंगरेप से जुड़ा वह किस्सा जिसने पूरे देश में ला दिया था भूचाल, आखिर क्यों अजमेर 92 फिल्म है इतनी विवादित
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मनोरंजन: अजमेर को लोग दरगाह के लिए जानते हैं, लेकिन एक ऐसा कांड भी है जिसके कारण अजमेर बदनाम है। 1992 में कई लड़कियां ब्लैकमेल और सेक्शुअल एब्यूज के कारण अपनी जान गंवा बैठी थीं। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का ध्यान रखने वाले परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोग इस कांड का हिस्सा बने थे। सिलसिलेवार तरीके से 250 से ज्यादा लड़कियों को अगवा किया गया, उनका बलात्कार किया और अश्लील तस्वीरें खींचकर उन्हें ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।
यह मामला सामने तब आया जब स्थानीय जर्नलिस्ट संतोष गुप्ता ने इस मामले को अप्रैल 1992 में रिपोर्ट करना शुरू किया। 'अजमेर 92' फिल्म भी उसी कांड की याद दिलाती है। इस फिल्म की रिलीज डेट 21 जुलाई, 2023 है। फिल्म ट्रेलर का ओपनिंग डायलॉग भयंकर है। 'जरा पता करके बताइए कहीं हमारी बहु का रेप तो नहीं हुआ....' यह डायलॉग बताता है कि मामला कितना गंभीर था।
उस समय के कुछ केस आज भी चल रहे हैं।
क्या था अजमेर 1992 मामला?
साल 1986 से 1992 के दौरान लड़कियों के साथ यह घटना शुरू हुई। दोषियों ने धीरे-धीरे लड़कियों को एकांत जगहों पर ले जाना शुरू किया और उसके बाद उनके साथ गैंगरेप किया। किसी ना किसी बहाने से लड़कियों को बुलाया जाता था। कई बार पीड़ित लड़की से खुद उसकी सहेलियों को फंसाने को कहा जाता था। रेप के दौरान लड़कियों की अश्लील तस्वीर खींची जाती थी और उसके जरिए उन्हें ब्लैकमेल किया जाता था।
तस्वीरों के डर से ना तो लड़कियां कुछ बोल पाती थीं और ना ही दोबारा अपने साथ अपराध होने से रोक पाती थीं।
इस दौरान कई लड़कियों ने अपनी जान भी दी और सुसाइड को रिपोर्ट करने के लिए दैनिक नवज्योति का एक पत्रकार संतोष गुप्ता मेहनत करने लगा।
उस दौरान कैमरा से अश्लील तस्वीरें डेवलप करने के लिए एक ही फोटो लैब का इस्तेमाल किया जाता था और उस लैब के लड़कों ने भी लड़कियों को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। उस दौरान लैब से ही कुछ तस्वीरें लीक हुईं जिन्हें संतोष गुप्ता ने अपनी स्टोरी में ब्लर करके छापा।
गुप्ता की स्टोरी ने सनसनीखेज खुलासा कर दिया था जिसको लेकर ना सिर्फ मीडिया और पुलिस नहीं, राजनीति से जुड़े लोग भी एक्टिव हो गए। (ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग से ऐसे बचें)
अजमेर खुलासे के बाद पुलिस एक्शन और सजा
इस खुलासे के बाद पुलिस ने अपनी इंक्वायरी शुरू कर दी। स्थानीय अधिकारियों ने जब पता किया तो की गंभीरता समझ आई। दरअसल, पुलिस को इस केस के बारे में साल भर पहले से ही पता था, लेकिन इस मामले को धार्मिक एंगल ना मिले और अजमेज शरीफ दरगाह की देखरेख करने वाले दबंग परिवार की तरफ से विक्टिम्स या उनके परिवार को खतरा ना हो इसलिए इस मामले को दबाया गया।
अजमेर शरीफ दरगाह का ध्यान रखने वाले खादिम परिवार के लोग इस मामले में शामिल थे और आरोपी फारुख चिश्ती को भी दोषी माना गया। 18 लोगों पर केस किया गया और उनमें से 8 को उम्र कैद हुई। हालांकि, उनमें से चार को राजस्थान हाई कोर्ट ने 2001 में छोड़ दिया था। 2007 में फारुख चिश्ती को फिर से जेल हुई और 2013 में हाई कोर्ट ने उसे छोड़ दिया क्योंकि वो एक लंबा अर्सा जेल में बिता चुका था। इस केस के मास्टरमाइंड फारुख के साथ नफीस और अनवर चिश्ती भी थे।
इस मामले का पहला जजमेंट 18 मई 1998 को आया था और तब तक सिर्फ 16 लड़कियां ही कोर्ट तक पहुंच पाई थीं।
अजमेर कांड से जुड़ा पुलिस का एक बयान बना केस के उलझने की वजह
इस बयान को ट्रेलर में भी दिखाया गया है जहां कहा जा रहा है, "लड़की प्रेग्नेंट थी तो अपनी मर्जी से ही गई होगी ना..." यही बयान था तत्कालीन DIG ओमेंद्र भारद्वाज का जिन्होंने जांच से पहले ही मीडिया के सामने यह कह दिया था कि जो लड़की इस बारे में बोलने आई है उसका चरित्र ही सही नहीं है।
हालांकि, अभी भी इस मामले में कई परिवार अपने साथ हुई नाइंसाफी के खिलाफ लड़ रहे हैं। आरोपी अल्मार अभी तक फरार है और कभी पकड़ा नहीं जा सका। इस केस के अधिकतर आरोपी या तो कई सालों बाद पकड़े गए या फिर उन्हें किसी ना किसी कारण से सजा कम होने और बेल होने का फायदा मिल गया।
एक मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पुलिस ने जांच पूरी होने के बाद सप्लीमेंट्री चालान पेश नहीं किया और इसलिए ही बार-बार गवाहों को कोर्ट आना पड़ा। यही कारण है कि मामला इतना लंबा खिंच गया और अभी तक इसका फैसला नहीं आ पाया है।
क्यों विवादों से घिर गया है 'अजमेर 92' का ट्रेलर?
यहां धार्मिक मामला सामने आ गया है। अजमेर की दरगाह का ध्यान रखने वाले परिवार और उससे जुड़े लोगों का कहना है कि इस फिल्म में उनके परिवार और कौम की छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। दरगाह की कमेटी का कहना है कि अगर यह फिल्म रिलीज हुई और उनकी कम्युनिटी का नाम खराब करने की कोशिश की गई, तो पूरे देश में इसके खिलाफ विरोध किया जाएगा। हालांकि, अभी तक सेंसर बोर्ड की तरफ से कोई ऐसी रिपोर्ट नहीं आई है कि फिल्म की रिलीज को रोका जाएगा या फिर उसमें कोई कट लगेगा।
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