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सुशांत सिंह राजपूत केस में अब तक का नतीजा जीरो, लेकिन खर्च हो चुके है इतने करोड़
jantaserishta.com
20 Dec 2020 4:41 AM GMT
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नई दिल्लीः सुशांत सिंह राजपूत के मामले की जांच के दौरान भले ही अभी तक की जांच का नतीजा बेनतीजा रहा हो लेकिन यह कड़वी सच्चाई है कि हाई प्रोफाइल केस में जनता द्वारा टैक्स के तौर पर चुकाए गए करोड़ों रुपये बर्बाद हो गए . दिलचस्प यह भी है कि इस मामले की जांच की आड़ में कई अधिकारियों ने दिल्ली से लेकर मुंबई तक खूब हवाई सफर किया. हालांकि मामले से जुड़े आला अधिकारियों का मानना है कि हम सरकार की नौकरी करते हैं और किसी भी जांच का मकसद उसमें न्याय देना होता है उसमें कर्मचारी अधिकारियों के वेतन या अन्य मामलों में कितना पैसा खर्च हुआ यह देखने का काम नहीं होता.
सीबीआई से लेकर ईडी और एनसीबी ने की जांच
सुशांत सिंह राजपूत की मौत मुंबई में 14 जून को हुई थी और उसके बाद मुंबई की हाई प्रोफाइल पुलिस ने कुछ ही दिनों में यह नतीजा निकाल दिया था कि यह मौत केवल आत्महत्या है. दिलचस्प यह है कि इस जांच की आड़ में मुंबई पुलिस ने फिल्मी जगत के अनेकों लोगों को बुलाकर पूछताछ की. यह बात दीगर है कि जांच का नतीजा जीरो रहा. इस मामले में हो-हल्ला मचने के बाद सीबीआई जांच के लिए मामला सौंप दिया गया इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने भी इस मामले में अपनी जांच शुरू कर दी.
जांच में जनता के करोड़ों रुपये हुए स्वाहा
सुशांत सिंह राजपूत मामले में 6 महीनों के दौरान मुंबई पुलिस समेत चार जांच एजेंसियों ने अपनी तरफ से गहन जांच की जांच का नतीजा कुल मिलाकर वही रहा जो मुंबई पुलिस शुरुआती दौर में कह रही थी यानी अभी तक की जांच के दौरान सीबीआई का भी मानना है कि यह मौत केवल आत्महत्या ही थी हालांकि सीबीआई इसे आधिकारिक तौर पर अभी नहीं कह रही है जांच का नतीजा अभी तक भले ही जीरो रहा हो लेकिन यह सच्चाई है कि 4 एजेंसियों द्वारा छह माह में की गई जांच के दौरान आम जनता द्वारा टैक्स के तौर पर चुकाए गए करोड़ों रुपए स्वाहा हो गये.
जानिए कैसे जांच के नाम पर खर्च हुए करोड़ों रुपये
आइए हम आपको बताते हैं कि आम जनता के करोड़ों रुपए कैसे और कहां स्वाहा स्वाहा हो गए. इस हाई प्रोफाइल मामले की जांच में मुंबई पुलिस के 4 दर्जन से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी 2 महीने तक लगे रहे. इसी प्रकार प्रवर्तन निदेशालय के एक दर्जन से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी इस मामले की जांच में लगे रहे. सीबीआई को यह मामला सौंपे जाने के बाद सीबीआई के लगभग 50 अधिकारी और कर्मचारी इसकी शुरुआती जांच में लगातार रहे और इसके लिए बाकायदा एक विशेष टीम दिल्ली से मुंबई में भेजी गई.
सब खर्च जोड़ा जाए तो 5 करोड़ रुपये का आंकड़ा सामने आया
इस मामले में सबसे दिलचस्प और हास्यप्रद पहलू नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का रहा जिसने अपनी तरफ से सुशांत मामले की जांच शुरू कर दी और उसकी एक विशेष जांच टीम लगातार दिल्ली से मुंबई और मुंबई से दिल्ली हवाई जहाज से आती-जाती रही. यह बात दीगर है कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो हो या प्रवर्तन निदेशालय या फिर सीबीआई कोई भी इस मामले में कितने तक नहीं पहुंच पाई. अंततः इस मामले में जो मुंबई पुलिस कह रही थी वही तथ्य आज भी सामने है. अब इस जांच में शामिल सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की तनख्वाह उनके हवाई जहाज से आने जाने का किराया गाड़ियों का भत्ता वहां रहने खाने का खर्च और उनका टीए - डीए भी जोड़ लिया जाए तो पूरा खर्च 5 करोड़ रुपये से ज्यादा बैठता है. इस मामले में एक सवाल यह भी उठता है कि जो जांच एजेंसियां सूमोटो एक्टिव हुई वो अन्य मामलों में भी इतनी एक्टिव क्यों नहीं दिखाई देती क्या इस तथाकथित तेजी दिखाने के पीछे भी कोई रहस्य छुपा हुआ है.
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