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ताना मारते थे सोसायटी के लोग, शादी के 11 साल बाद मां बनी एक्ट्रेस ने बताया सबकुछ

Nilmani Pal
18 April 2022 1:48 AM GMT
ताना मारते थे सोसायटी के लोग, शादी के 11 साल बाद मां बनी एक्ट्रेस ने बताया सबकुछ
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टीवी की पॉपुलर राम-सीता की जोड़ी गुरमीत चौधरी और देबिना बनर्जी के घर नन्ही परी ने जन्म लिया है. दोनों ही शादी के 11 साल बाद पेरेंट्स बनकर बेहद खुश हैं. सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दोनों ने प्रेग्नेंसी की खबर फैन्स को दी थी. इनके घर बेटी ने जन्म लिया है. कुछ ही दिनों में कपल ने पार्टी रखी है, जिसमें इंडस्ट्री के कई कलाकार शामिल होते नजर आएंगे. देबिना बनर्जी और गुरमीत चौधरी की जिंदगी खुशियों में भर गई हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देबिना बनर्जी और गुरमीत चौधरी बेबी के पेरेंट्स आसानी से नहीं बने हैं.

देबिना ने झेला सोसायटी का प्रेशर

शादी के 11 साल बाद इनके घर किलकारियां गूंजी हैं. इन 11 सालों में देबिना बनर्जी ने काफी चीजें देखीं. देबिना बनर्जी ने बताया कि कन्सीव करने के लिए उनपर सोसायटी का बहुत प्रेशर था, लेकिन कोई उनकी मेडिकल समस्याओं के बारे में नहीं जानता था. कोई यह नहीं जानता था कि वह आखिर किन परेशानियों से गुजर रही हैं.

देबिना बनर्जी ने बताया कि उनपर सोसायटी का लगातार प्रेशर बना हुआ था. उन्होंने कहा कि लोग यह क्यों नहीं समझते हैं कि जब आप किसी पर प्रेशर डालते हैं तो वह उन सब चीजों के अंडर काम नहीं कर पाता है. केवल क्रिटिसिज्म ही झेलता रहता है. देबिना बनर्जी ने दर्शकों को सलाह दी कि अगर कोई भी आप पर किसी भी चीज का प्रेशर डालने की कोशिश करे तो उसे ऐसा मत करने दो. देबिना बनर्जी ने अपने उस मुश्किल समय को याद किया, जब वह कन्सीव करने के लिए हर कोशिश कर रही थीं. गुरमीत और वह डॉक्टर्स के पास जाते थे. गायनेकॉल्जिस्ट बदले, आईवीएफ के जरिए कन्सीव करने की कोशिश की. यह जानने की कोशिश की आखिर वह कन्सीव क्यों नहीं कर पा रही हैं. तब जाकर उन्हें पता चला कि देबिना बनर्जी एंडोमिट्रियॉसिस की समस्या से परेशान हैं. उन्होंने एक्यूपंक्चर जैसी थेरेपी ली. इसमें आपकी बॉडी से सारे टॉक्सिन्स को बाहर निकाला जाता है.

एंडोमिट्रियॉसिस एक तरह की कंडीशन होती है. इसमें ब्लीडिंग, यूट्रस की वॉल के अंदर होती है. इसकी वजह से कन्सीव करने में भी दिक्कतें होती हैं. देबिना बनर्जी को यह समस्या खत्म करनी थी. ऐसे में सबसे पहले उन्होंने एलोपेथिक दवाएं लीं. इसके बाद आयुर्वेद का रास्ता अपनाया. देबिना बनर्जी के लिए यह सब एक रुटीन बन चुका था. सुबह 10 बजे डॉक्टर के पास वह ट्रीटमेंट के लिए पहुंच जाती थीं. तब जाकर उन्होंने कन्सीव किया. देबिना बनर्जी के लिए यह जर्नी बिल्कुल भी आसान नहीं रही. उन्होंने ग्रुप्स का सपोर्ट लिया, जिससे वह सोसायटी के प्रेशर पर ध्यान न दे सकें और इससे बाहर आ सकें.


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