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निर्देशक ने चेहरा देखकर असरानी को कर दिया था रिजेक्ट
बॉलीवुड अभिनेता असरानी ने बहुत मशक्कत के बाद जया भादुड़ी अभिनीत फिल्म 'गुड्डी' से अपने करियर की शुरुआत की थी। वो बहुत समय तक हृषिकेश मुखर्जी के पीछे लगे रहे तब जाकर उन्हें पहली फिल्म मिली थी। इस फिल्म में उनके काम को पसंद किया गया लेकिन इसके बाद भी उन्हें फिल्मों के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा।
कोमल नाहटा के शो में असरानी ने बताया था कि लोग उनको कमर्शियल एक्टर नहीं समझते थे और उन लोगों में गुलजार भी शामिल थे। उन्होंने बताया था, 'गुलजार साहब ने कहा था ना ना..मुझे वो कमर्शियल एक्टर नहीं समझते थे..बोले कुछ अजीब सा चेहरा है।' उन्होंने आगे बताया कि एक बार वो अपना रील डायरेक्टर एलवी प्रसाद के पास दिखाने ले गए थे जिसे देखकर उन्होंने कहा था कि न तो असरानी विलेन लगते हैं न हीरो, उन्हें कैसा रोल दिया जाए।
असरानी ने बताया था, 'मैं एक रील लेकर दिखाने गया था तो एलवी प्रसाद जी मुझे बोले….हालांकि बाद में उन्होंने फिल्म दी मुझे…उन्होंने कहा कि असरानी तुम्हें कैसा रोल दें? हीरो हमारे पास बहुत हैं, विलेन तू लगता नहीं, कॉमेडियन का सवाल ही पैदा नहीं होता और रोमांटिक सीन तुम कर नहीं सकते। तुम बताओ बेटा क्या रोल दे तुम्हें? मैंने कहा नहीं सर, मैं डब्बा वापस लेता हूं, मुझे माफ़ करो। और मैं चला गया।'
असरानी ने इसके बाद साउथ फिल्म इंडस्ट्री का रुख किया और सभी बड़े डायरेक्टर्स के साथ काम किया। इससे उनकी एक्टिंग को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी पहचान मिलने लगी और बीआर चोपड़ा ने उन्हें 'निकाह' में साइन कर लिया। उन्होंने बताया था, 'बीआर चोपड़ा ने निकाह में मुझे रोल दिया। सबने कहा कि ये क्या कर रहे हैं ये। ये तो विलेन का रोल है, सलमा आगा से मोहब्बत करता है ये आदमी तो बोले करने दो। और पिक्चर सुपरहिट रही।'
असरानी ने बॉलीवुड में करीब 5 दशकों तक सक्रिय रूप से काम किया। उन्होंने अभिनय के अलावा कई फिल्मों का निर्देशन भी किया जिनमें हम नहीं सुधरेंगे, दिल ही तो है और उड़ान प्रमुख हैं। असरानी को अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की फिल्म 'शोले' के लिए खास रूप से याद किया जाता है। इस फिल्म में उन्होंने एक जेलर की भूमिका निभाई थी।
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