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चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने उठाए अमेरिकी लोकतंत्र पर सवाल, लोकतंत्र सम्‍मेलन को लेकर टकराव हुआ तेज

Neha Dani
5 Dec 2021 11:14 AM GMT
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने उठाए अमेरिकी लोकतंत्र पर सवाल, लोकतंत्र सम्‍मेलन को लेकर टकराव हुआ तेज
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राष्‍ट्रपति बाइडन चीन से सामरिक या रणनीतिक संघर्ष के बजाए कूटनीतिक दांव से चित करने की रणनीति बना सकते हैं।

चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मेजबानी में होने जा रहे वैश्विक लोकतंत्र सम्मेलन की कड़ी निंदा करते हुए शनिवार को अमेरिकी लोकतंत्र पर सवाल उठाए हैं। इसके साथ चीन ने अपनी शासन प्रणाली के गुणों की प्रशंसा की। खास बात यह है कि इस बैठक में ताइवान को भी आमंत्रित किया गया है। इससे चीन और तिलमिला गया है। इसमें रूस और चीन को आमंत्रित नहीं किया गया है। दोनों देशों के बीच अब कूटनीतिक जंग तेज हो गई है। चीन ने अपनी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की वकालत करते हुए अमेरिकी लोकतंत्र पर सवाल उठाए हैं।

चीन ने अमेरिकी लोकतंत्र पर उठाए सवाल
कम्‍युनिस्‍ट पार्टी पदाधिकारियों ने सवाल किया कि एक ध्रुवीकृत देश दूसरों को उपदेश कैसे दे सकता है। उन्होंने कहा कि दूसरों को पश्चिमी लोकतांत्रिक माडल की नकल करने के लिए मजबूर करने के प्रयास बुरी तरह विफल हुए हैं।
पार्टी ने कहा कि महामारी ने अमेरिकी व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है। उन्होंने अमेरिका में कोरोना महामारी से बड़ी संख्या में लोगों की मौत के लिए राजनीतिक विवादों और ऊपरी से लेकर निचले स्तर तक विभाजित सरकार को जिम्मेदार बताया।
इस प्रकार का लोकतंत्र मतदाताओं के लिए खुशियां नहीं, बल्कि तबाही लेकर आता है। उन्होंने एक सरकारी रिपोर्ट जारी की जिसमें बताया गया है कि कम्युनिस्ट पार्टी अपने लोकतंत्र के स्वरूप को क्या कहती है।
गौरतलब है कि बाइडन ने गुरुवार से शुरू होने वाले दो दिवसीय डिजिटल समिट फार डेमोक्रेसी के लिए लगभग 110 सरकारों को आमंत्रित किया है। चीन और रूस को इसका न्योता नहीं मिला है।
अमेरिका और चीन की कूटनीतिक जंग तेज
प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति बाइडन का लोकतंत्र पर महासम्‍मेलन के बड़े मायने हैं। दरअसल, चिनफ‍िंग और बाइडन के बीच हुई वर्चुअल बैठक बेनतीजा रहने के बाद बाइडन प्रशासन ने शायद यह तय कर लिया है कि चीन को कूटनीतिक मोर्चे पर शिकस्‍त देना है। चीन को दुनिया के अन्‍य मुल्‍कों से अलग-थलग करना है। लोकतंत्र पर चीन के बह‍िष्‍कार को इसी कड़ी के रूप में देखना चाहिए। आने वाले समय में बाइडन प्रशासन की नीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। राष्‍ट्रपति बाइडन चीन से सामरिक या रणनीतिक संघर्ष के बजाए कूटनीतिक दांव से चित करने की रणनीति बना सकते हैं।


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