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अमेरिकी खुफिया आकलन ने पहले कहा था कि अमेरिकी सेना के हटने के महीनों के भीतर देश की नागरिक सरकार आतंकवादी समूह के अधीन हो सकती है।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने बुधवार को कहा कि तालिबान के आतंकी संगठन अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मुहम्मद के साथ गहरे रिश्ते हैं। तालिबान अफगानिस्तान को आतंकियों की जन्नत बनाना चाहता है। टोलो न्यूज के अनुसार, गनी ने काबुल स्थित स्पेशल आपरेशन कमांड सेंटर में जवानों को संबोधित करते हुए कहा, 'सरकार ऐसा कतई नहीं होने देगी।'
अफगानी राष्ट्रपति ने देश के विशेष अभियान बल के जवानों को हर प्रकार की मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि अगर देश के लिए जंग लड़ते हुए सुरक्षा बल का कोई जवान शहीद होता है तो उसके परिवार का पूरा खयाल रखा जाएगा। गनी ने कहा कि अफगानिस्तान ने तालिबान के साथ शांति वार्ता के लिए दोहा में उच्चस्तरीय प्रतिनिधि मंडल भेजने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा, 'अब्दुल्ला ने कुछ मिनट पहले ही मुझे बताया है कि तालिबान शांति के लिए इच्छुक नहीं है। हम प्रतिनिधिमंडल भेजेंगे.. यह जताने के लिए कि हम शांति के लिए कुर्बानी देने को भी तैयार हैं, लेकिन तालिबान इसके लिए तैयार नहीं है और हमें इसी आधार पर निर्णय लेना चाहिए।
गनी ने कहा कि अफगानिस्तान के सुरक्षाबलों ने पिछले 20 वर्षों और विशेष रूप से पिछले तीन महीनों में इस मातृभूमि की रक्षा के लिए कई बलिदान दिए हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य अफगानिस्तान, आजादी, समानता और पिछले 20 साल की उपलब्धियों की रक्षा करना है, लेकिन दुश्मन की मंशा काली है। गनी ने कहा कि यह ईद विशेष रूप से पिछले तीन महीनों में अफगान बलों को उनके बलिदान और साहस का सम्मान करने के लिए समर्पित है।
विदेशी सेनाओं के युद्धग्रस्त देश से पीछे हटने के साथ ही अफगानिस्तान में हिंसा में वृद्धि देखी जा रही है। क्योंकि तालिबान ने नागरिकों, अफगान रक्षा और सुरक्षा बलों के खिलाफ हमले तेज कर दिए हैं। तालिबान ने देश भर के कई जिलों पर नियंत्रण कर लिया है। अमेरिकी खुफिया आकलन ने पहले कहा था कि अमेरिकी सेना के हटने के महीनों के भीतर देश की नागरिक सरकार आतंकवादी समूह के अधीन हो सकती है।
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