दिवंगत अदाकार सुशांत सिंह राजपूत पर तीन वर्ष पहले एक फिल्म ‘न्याय’ बनी थी. पिछले दो वर्ष से फिल्म की रिलीज को लेकर न्यायालय में मुकदमा चल रहा था. सुशांत के पिता केके सिंह ने फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए याचिका डाली थी. अब बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुकदमा पर सुनवाई करते हुए ये याचिका खारिज कर दी है.
कोर्ट का बोलना है कि फिल्म पर किसी भी ढंग का बैन लगाना ठीक नहीं है. सुशांत के पिता ने फिल्म के मेकर्स पर बेटे की प्राइवेसी हर्ट करने का मामला दाखिल किया था. न्यायालय ने केके सिंह की याचिका पर टिप्पणी करते हुए बोला कि सुशांत के मृत्यु के साथ ही उनके निजता का अधिकार भी समाप्त हो गया.
‘फिल्म को बनाने में लगे ढाई से तीन करोड़’
फिल्म ‘न्याय’ को बनाने वाले मेकर्स के लीगल एडवाइजर अशोक सरावगी का बोलना है कि उन्होंने फिल्म बनाने के पहले गहरा रिसर्च किया है. उन्होंने कहा- सुशांत पर जो चीजें पब्लिक डोमेन में हैं, हमने उसी आधार पर फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग तैयार किया है.
हमने उन सोर्सेज का उपयोग नहीं किया, जिसकी विश्वसनीयता पर संदेह था. फिल्म को बनाने में ढाई से तीन करोड़ रुपए खर्च हुए. इसके अतिरिक्त कानूनी लड़ाई लड़ने में 60 लाख रुपए और खर्च हुए हैं. अब फाइनली हमारी फिल्म के साथ जस्टिस हुआ है. फिल्म के राइट्स जी 5 के पास हैं, अब हम जी 5 के साथ मिलकर फिल्म को रिलीज करने में जुटेंगे
फिल्म 2021 जून में ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो गई थी.
कोर्ट ने कहा- फिल्म से जुड़े तथ्य मीडिया में पहले से ही मौजूद
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपनी जजमेंट में कहा- फिल्म से जुड़े तथ्य मीडिया में पहले से ही उपस्थित हैं. यदि इन तथ्यों के आधार पर फिल्म बनी है, तो इस पर विरोध नहीं होनी चाहिए. फिल्म के मेकर्स ने सुशांत के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया है.
सुशांत की मृत्यु से जुड़ी रिपोर्ट्स जब पब्लिक डोमेन में आई तो उनके पिता केके सिंह ने इसे चैलेंज नहीं किया. इसलिए ये भी किसी भी तरह से अधिकारों का उल्लंघन नहीं है, खास तौर से उनके पिता के अधिकारों का तो एकदम नहीं.
कोर्ट ने बोला कि ये फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘लपालप’ पर ऑलरेडी स्ट्रीम हो रही है. इसे अब तक हजारों लोगों ने देख भी लिया है. फिर इस पर बैन लगाने का कोई मतलब नहीं है.
सुशांत इस दुनिया में नहीं रहे, उनके अधिकारों का पिता से कोई संबंध नहीं
जस्टिस सी। हरिशंकर ने अपनी जजमेंट में कहा- यदि ये फिल्म सुशांत सिंह राजपूत के निजता के अधिकार का उल्लंघन करती भी है तो ये उनका पर्सनल मामला है. अब वैसे वे इस दुनिया में नहीं है, इसलिए ये नहीं बोला जा सकता कि उनके ये अधिकार उनके पिता को विरासत में मिले हैं.
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फिल्म के लॉयर और निर्माता सरला सरावगी के पति अशोक सरावगी और प्रोड्यूसर राहुल शर्मा ने दैनिक मीडिया से खास वार्ता की. उन्होंने कहा- सुशांत सिंह राजपूत के पेरेंट्स को लग रहा था कि फिल्म में उनकी गलत इमेज दिखाई गई है, लेकिन ऐसा एकदम भी नहीं है.
हम लोग स्वयं सुशांत सिंह के फैन्स हैं. हमने उनसे इंस्प्रेशन लेकर फिल्म बनाई है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं दिखाया गया है, जिससे उनके फैन्स और फैमिली निराश हों. हमने प्रयास की है कि फिल्म के जरिए उनकी यादें जुड़ी रहें.