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कभी मुश्किल से दो वक्त का गुज़ारा कर पाते थे Suresh Oberoi, फिर ऐसे चमका एक्टर की किस्मत

Tara Tandi
24 Jun 2023 11:44 AM GMT
कभी मुश्किल से दो वक्त का गुज़ारा कर पाते थे Suresh Oberoi, फिर ऐसे चमका एक्टर की किस्मत
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80 के दशक में कभी विलेन तो कभी सपोर्टिंग किरदार निभाकर फिल्मी दुनिया में पहचान बनाने वाले एक्टर सुरेश ओबेरॉय ने अपने जीवन में एक समय काफी संघर्ष देखा है। आज भले ही सुरेश ओबेरॉय करोड़ों के मालिक हैं, लेकिन एक समय एक्टर को दाल-चावल तो कभी रोटी-चीनी खाने को भी नहीं मिलती थी तो कभी भूखे रहकर दिन गुजारते थे सुरेश ओबेरॉय सुरेश ओबेरॉय मूवीज़ ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनका जन्म क्वेटा में हुआ था जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है, फिर विभाजन के समय वह और उनका परिवार भारत आ गए। उस दौरान उन्होंने शरणार्थी शिविर में बहुत बुरा वक्त देखा है।
अपने संघर्ष की कहानी के बारे में बात करते हुए सुरेश ओबेरॉय ने कहा, उनके पिता का पाकिस्तान में करोड़ों का कारोबार था लेकिन विभाजन के समय सब कुछ पीछे छूट गया। भारत आने के बाद शरणार्थी शिविर में बहुत मुश्किल हुई। फिर किसी तरह पिता वापस पाकिस्तान चले गये और कुछ समय तक मुस्लिम बनकर वहीं रहे। सुरेश ओबेरॉय ने बताया, पिता ने पाकिस्तान में बिजनेस और प्रॉपर्टी बेच दी और फिर भारत लौट आए। इसके बाद उनकी हालत में थोड़ा सुधार हुआ।
सुरेश ओबेरॉय फिल्म्स ने अपने करियर की शुरुआत एक रेडियो शो से की थी। फिर मॉडलिंग के बाद उन्होंने फिल्मों की दुनिया में कदम रखा। सुरेश ओबेरॉय की पहली फिल्म जीवन मुक्ता साल 1977 में रिलीज हुई थी। इसके बाद एक्टर फिल्म एक बार फिर (1980) में मुख्य भूमिका में नजर आए। सुरेश ओबेरॉय ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में मुख्य भूमिकाएँ निभाईं, लेकिन सहायक और खलनायक भूमिकाओं से ही उन्हें सफलता मिली।
फिल्म लावारिस, विधाता, कामचोर, नमक हलाल और राजा हिंदुस्तानी में सुरेश ओबेरॉय न्यू मूवी के किरदारों ने बहुत अलग छाप छोड़ी। सुरेश ओबेरॉय ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि जब उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा, जब अमिताभ बच्चन और मिथुन चक्रवर्ती का इंडस्ट्री में रुतबा था, तब उन्हें अपनी जगह बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा।
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