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Surbhi Jyoti ने टीवी-टाउन में झेले जजमेंट, एक्ट्रेस ने बयां किया दर्द

Shiddhant Shriwas
13 Feb 2022 7:41 AM GMT
Surbhi Jyoti ने टीवी-टाउन में झेले जजमेंट, एक्ट्रेस ने बयां किया दर्द
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लोग हमारे बारे में सोचते हैं कि ये कैसे नॉर्मल कपड़े पहन सकते हैं.

टीवी की 'नागिन' (Naagin 3) बन कर दर्शकों के बीच अपनी खास छाप छोड़ने वालीं सुरभि ज्योति (Surbhi Jyoti) के लाखों-करोड़ों फैंस हैं. पॉपुलर एक्ट्रेस ने हाल ही में बताया कि जब पहली बार उन्होंने ग्लैमर वर्ल्ड (Glamor World) में कदम रखा था तो उन्हें कैसे ट्रीट किया गया था. सुरभि ज्योति ने करण सिंह ग्रोवर (Karan Singh Grover) संग शो 'कबूल है' (Qubool Hai) से टीवी इंडस्ट्री में डेब्यू किया था. पहली बारी में ही एक्ट्रेस ने धमाकेदार परफॉर्मेंस दिया था, लोगों ने उन्हें शो में काफी पसंद किया था. लेकिन उनके साथ काम करने वाले ऐसे कई लोग थे जो इस बात को पचा नहीं पा रहे थे. ऐसे में सुरभि ने अपने लिए काफी जजमेंट सही है.

जब लोगों ने करना शुरू कर दिया था जज


एक्ट्रेस सुरभि बताती हैं कि लोगों ने उन्हें जज करना शुरू कर दिया था. बॉलीवुड बबल को दिए इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने बताया था कि जल्दी ही सफलता मिलने पर उन्हें जज किया जाने लगा था. वह उनके लिए स्ट्रग्लिंग पीरियड था. उन्होंने बताया था- 'हमारी सोसाइटी हमें किसी भी चीज के लिए जज कर लेती है. एक्टिंग एक ऐसा प्रोफेशन है जिसके लिए लोग कुछ भी बोलते हैं मुझे आज तक समझ नहीं आया कि लोग इस प्रोफेशन के बारे में अच्छा क्यों नहीं सोचते?'
को-स्टार ने किया था कमेंट
सुरभि ने बताया- जब आपको आसानी से सक्सेस हासिल हो जाती है तो लोगों को ये पचता नहीं है. ऐसे में उन्हें को-स्टार तक से ऐसे कमेंट मिलते थे- 'नई लड़की को ले आए हैं कम पैसों के चलते, इनके पास टैलेंट होता ही नहीं है.' इसतरह के कमेंट सुनने को मिलते थे. मैं इन सब को दरकिनार कर अपनाकाम करती थी, क्योंकि इन सब को सुन कर मुझे बुरा लगता था. वह अपनी फ्रस्ट्रेशन बाहर निकाल रहे होते थे. अगर ऐसे लोगों को इग्नोर करो तो लाइफ जर्नी आसान हो जाती है.'
सुरभि ने आगे कहा कि- उन्हें इस तरह की जजमेंट से कोई फर्क नहीं पड़ता है. एक्ट्रेस ने कहा- मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की औऱ मुंबई आ गई. मैं कोई 14-15 साल की या 19 साल की बच्ची नहीं थी जब यहां आई थी. मैं मेच्योर थी. मैं जानती थी कि यहां काम कैसे होता है क्या हो सकता है औऱ आगे क्या होगा. मैं कमजोर नहीं पड़ी, बस परिवरा की याद आती थी. बाकी सब ठीक था, मुंबई शहर ने मेरा बाहें खोल कर स्वागत किया था. हां प्रेशर था पर मुझे सक्सेस भी मिल रही थी. कई बार आपको वक्त को वक्त देना पड़ता है. ताकि सब सेटेल हो जाए. ये बहुत आसान है, लोग सोचते हैं कि हमें हमेशा हंसते रहना चाहिए. लोग हमारे बारे में सोचते हैं कि ये कैसे नॉर्मल कपड़े पहन सकते हैं.

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