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सनी देओल-अमीषा की 'गदर' से है प्रेरित!

Sonam
10 Aug 2023 11:18 AM GMT
सनी देओल-अमीषा की गदर से है प्रेरित!
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बॉलीवुड स्टार्स सनी देओल (Sunny Deol) और अमीषा पटेल (Ameesha Patel) की सुपरहिट फिल्म 'गदर' लाखों लोगों की एक भावना है, जो एक पाकिस्तानी राजनेता की बेटी 'सकीना' के साथ एक भारतीय ट्रक ड्राइवर तारा सिंह की लव स्टोरी देखकर बड़े हुए हैं। हर बार 'उड़ जा काले कावां' गाना फिल्म से जुड़ी यादें ताजा कर देता है। जब हमने पहली बार साल 2001 में रिलीज हुई फिल्म देखी थी, तब हम बच्चे थे, लेकिन जब हमने फिल्म में दिखाए गए दर्द को देखा था, तो उसने हमें अंदर तक झकझोर दिया था।

लगभग 22 सालों के बाद सनी देओल और अमीषा पटेल की हिट जोड़ी फिल्म 'गदर 2' में 'तारा' और 'सकीना' की भूमिका निभाते हुए सिल्वर स्क्रीन पर वापस आ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, फिल्म ने पहले ही 1.3 लाख टिकट बेच दिए हैं। दर्शक फिर से 'गदर' का जादू देखने के लिए तैयार हैं। इस बीच हम आपको बता दें कि यह कहानी पूर्व सैनिक बूटा सिंह की रियल लाइफ लव स्टोरी पर आधारित है। आइए आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं।

सनी देओल का किरदार 'तारा सिंह' पूर्व सैनिक बूटा सिंह के जीवन से है प्रेरित

जी हां, सनी देओल का किरदार ब्रिटिश सेना के पूर्व सैनिक बूटा सिंह के जीवन से प्रेरित है, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लॉर्ड माउंटबेटन की कमान में बर्मा फ्रंट पर सेवा की थी। मुस्लिम लड़की जैनब के साथ उनकी लव स्टोरी भारत और पाकिस्तान में फेमस है। बूटा सिंह पूर्वी पंजाब के लुधियाना में रहते थे।

बूटा सिंह और जैनब की लव स्टोरी, रियल लाइफ के 'तारा और सकीना'

रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान पूर्वी पंजाब से कई मुस्लिम परिवारों को खदेड़ दिया गया था और उनकी हत्या कर दी गई थी। एक युवा मुस्लिम लड़की जैनब का पाकिस्तान की ओर जाने वाले काफिले से अपहरण कर लिया गया था। बूटा सिंह ने पाकिस्तानी लड़की को बचाया और उससे प्यार कर बैठे। बूटा और जैनब की शादी हुई और उनकी दो बेटियां तनवीर व दिलवीर हुईं।

जब बंटवारे के दस साल बाद बूटा सिंह और जैनब हो गए अलग

जल्द ही उनकी लव स्टोरी एक ट्रैजिक स्टोरी में बदल गई, जब भारतीय और पाकिस्तानी सरकारों ने इंटर-डोमिनियन संधि पर हस्ताक्षर किए, जिससे दोनों देशों से जितनी संभव हो, उतनी अपहृत महिलाओं को बरामद करना अनिवार्य हो गया था। बहुत से लोग नहीं जानते कि इस नियम को लागू करने के लिए एक अध्यादेश भी पारित किया गया था, जिसमें कहा गया था कि अगर किसी महिला ने 1 मार्च 1947 के बाद अंतर-सांप्रदायिक संबंध में एंट्री की है, तो उसे अपहरण माना जाएगा।

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