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जन्मदिन पर अरुण बख्शी से खास बातचीत

HARRY
11 Jun 2023 4:01 PM GMT
जन्मदिन पर अरुण बख्शी से खास बातचीत
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बोले: जिनसे पिटे उन्हीं के लिए गाए फिल्मों में गाने

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | अभिनेता अरुण बख्शी न सिर्फ एक जबरदस्त एक्टर हैं बल्कि जबरदस्त गायक भी है। वह हिंदी सिनेमा के कई बड़े सितारों के लिए गीत गा चुके हैं। 11 जून को पंजाब के लुधियाना शहर में जन्मे अरुण बख्शी ने अपनी कर्मभूमि मुंबई को बनाई क्योंकि उनकी कुंडली में लिखा था कि उनकी कर्मभूमि समुद्र के किनारे होगा। इन दिनों अरुण बख्शी स्टार भारत के शो 'अजूनी' में तेजेन्द्र सिंह बग्गा की जबरदस्त भूमिका निभा रहे हैं। अरुण बख्शी मानते हैं कि एक अभिनेता के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखता है। इसलिए अपने जन्म का साल किसी से शेयर नहीं करते हैं। अपने जन्मदिन के अवसर पर अरुण बख्शी ने अमर उजाला से खास बातचीत की।

अभिनेता अरुण बख्शी की परवरिश भजन कीर्तन के माहौल में हुई है। इसलिए उनके आचार विचार बहुत ही सात्विक हैं। अरुण बख्शी कहते हैं, 'मेरे पिता आई एन बख्शी डॉक्टर थे, लेकिन उनकी प्रैक्टिस ठीक से नहीं चलती थी। मेरी मां वेद बख्शी भजन कीर्तन करती थी उसी से जो आमदनी होती थी। उससे मेरा लालन पालन हुआ। बचपन से मुझे क्रिकेटर बनना था। मैंने लुधियाना में क्रिकेटर यशपाल शर्मा के साथ क्रिकेट मैच भी बहुत खेले हैं, लेकिन क्रिकेट के क्षेत्र में मुझे प्रोत्साहित करने वाला कोई नहीं था। और, फिर मेरे कुंडली में लिखा था कि मेरी कर्मभूमि समुद्र के किनारे होगी। बचपन में मुझे किताबें पढ़ने और सिनेमा देखने का बहुत शौक था। ऐसा कोई लाइब्रेरी नहीं बची, जहां जाकर मैंने किताबें नहीं पढ़ी होगीं। घर से मुझे जो पॉकेट मनी मिलती थी, उसे फिल्में देखने और किताबें पढ़ने में खर्च करता था। मुझे देवानंद साहब की फिल्में देखने का बहुत शौक था।'

मुंबई आने से पहले अरुण बख्शी लुधियाना में एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में जॉब करते थे। वह कहते हैं, 'कुछ समय के लिए लुधियाना में पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में काम किया। वहां पर मुझे 227 रुपये महीने का वेतन मिलता था। वहां से छह महीने की छुट्टी लेकर मुंबई साल 1978 में आया। मुंबई आने के बाद जुहू सर्कल के पास 250 रुपये महीने के भाड़े पर कमरा किराये पर ले लिया। यहां के बाद सबसे पहले मैंने एक पेपर खरीदा यह जानने के लिए कि मुंबई में थियेटर कहां पर होते हैं और मुंबई आते ही इप्टा थियेटर ग्रुप से जुड़ गया। उस समय एक नाटक करने के पांच रूपये मिलते थे और रिहर्सल के दौरान एक कटिंग चाय और वड़ा पाव। बाद में हमने लड़झगड़ के एक नाटक में काम करने के बदले 10 रूपये करवाए। नाटकों में मेरी शुरुआत 'बकरी' नाटक से हुई थी। इस नाटक में 21 गाने थे, जिसे मैं खुद ही अपनी आवाज में गाता था। मैंने सैथ्यु, रमेश तलवार जावेद सिद्दीकी के साथ कई नाटक किए।'

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