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सोनू सूद ने नहीं सुनी फरियाद: तो नौजवानों ने उठाया बीड़ा, और फिर...

Nilmani Pal
1 Sep 2021 2:31 PM GMT
सोनू सूद ने नहीं सुनी फरियाद:  तो नौजवानों ने उठाया बीड़ा, और फिर...
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बोकारो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फरियाद की… लॉकडाउन में ज़रूरतमंदों के सहारे बनकर उभरे सिने अभिनेता सोनू सूद से गुहार लगाई… हालांकि उनसे कुछ मांगा नहीं, बस मांग को जगह तक पहुंचा देने का आग्रह किया..! लेकिन आवाज़ जब कहीं तक नहीं पहुंची, तो हिम्मत न हारते हुए गांव के नौजवानों ने ही बीड़ा उठाया. दशरथ मांझी ने अगर पहाड़ तोड़ दिया था, तो क्या एक सड़क अपने दम पर नहीं बनाई जा सकती? बस यही सोचकर गांव के नौजवान सारा दिन पसीना बहाकर अपने गांव की ज़रूरत पूरी करने में जुट गए हैं.

सोशल मीडिया के ज़माने में यह मुमकिन है कि आप किसी भी नेता या अभिनेता तक सीधे अपनी बात पहुंचा सकते हैं. लेकिन कोई बात सुने या नहीं, सुनकर ध्यान दे या नहीं, यह अब भी आपके बस में नहीं है. मामला झारखंड के बोकारो ज़िले के गोमिया प्रखंड के अति उग्रवाद प्रभावित अमन गांव का है. यहां के युवक संजय महतो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अभिनेता सोनू सूद से ट्विटर के ज़रिये आग्रह किया कि झारखंड के गांव की सड़क बना देने की मांग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक पहुंचा दी जाए.

महतो ने बताया कि उनका अमन गांव पहाड़ पर बसा है. गांव के लोगों को पंचायत, सचिवालय और बाजार चतरोचट्टी आने के लिए 20 से 25 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. अमन से दनरा तक सड़क बनने से यह दूरी घटकर पांच किलोमीटर रह जाएगी. लोगों को काफी सहूलियत होगी और समय व श्रम भी बचेगा. इस कारण महतो सड़क की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों का का मानना था कि कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति कहेगा, तो सीएम ज़रूर ध्‍यान देंगे. बता दें कि गोमिया विधानसभा और गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से विधायक और सांसद भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू के हैं.

पीएम और एक्टर से निराशा हाथ लगने के बाद गांव के युवकों ने हार नहीं मानी और पांच किलोमीटर की सड़क बनाने की ठानी. पिछले एक साल इस गांव के सभी युवक समय निकालकर सड़क निर्माण के लिए श्रमदान कर रहे हैं. इधर, प्रशासन द्वारा झुमरा से लिंक पथ का निर्माण किया जा रहा है लेकिन वन विभाग से एनओसी नहीं मिलने पर अमन गांव तक पथ निर्माण का कार्य बाधित है. ग्रामीण संजय महतो की मानें तो अमन गांव विकास से कोसों दूर है. यहां न सड़क है, न पानी की व्यवस्था. कोई अधिकारी यहां की सुध लेने नहीं पहुंचता.

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