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शरारत करने पर बहन श्रद्धा ही मार से बचाती थी: सिद्धांत कपूर

Neha Dani
6 Sep 2021 3:07 AM GMT
शरारत करने पर बहन श्रद्धा ही मार से बचाती थी: सिद्धांत कपूर
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तो बचपन में स्कूल हो या घर, हमेशा मुझे डांट या मार से बचाती थी। अक्सर मेरे लिए झूठ बोल देती थी।

हाल ही में अमिताभ बच्चन स्टारर 'चेहरे' में गूंगे सजायाफ्ता मुजरिम की भूमिका से तारीफ पाने वाले अभिनेता सिद्धांत कपूर इन दिनों चर्चा में हैं अपनी नई वेब सीरीज 'भौकाल पार्ट 2' से। इस मुलाकात में वे अपने रोल, करियर, बिग बी, बहन श्रद्धा कपूर, पिता शक्ति कपूर और मंगेशकर परिवार के साथ अपने लगाव पर दिल खोल कर बातें करते हैं।

-असल में मुझे फ्लू हो गया था। पिछले दिनों मैं लगातार 'भौकाल' की शूटिंग में बिजी था और शेड्यूल काफी हेक्टिक था, इसलिए तबीयत खराब हो गई। असल में मुझे पिछले साल कोरोना भी हुआ था और उसके बाद मेरा इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया था। यह ऐसा वायरस है कि इसकी चपेट में आने के दौरान और पोस्ट कोरोना भी इसका असर कई महीनों तक रहता है। यही वजह है कि इन दिनों मैं अपनी इम्यूनिटी पर भी विशेष ध्यान दे रहा हूं, मगर बीते दिनों काम के दबाव में तबीयत बिगड़ गई। हमने काफी नॉन स्टॉप ऐक्शन की शूटिंग की थी।
'भौकाल पार्ट 2' में क्या खास कर रहे हैं आप?
-'भौकाल' सीरीज के पार्ट टू के लिए पिछले 25 दिन मैंने लखनऊ में लगातार शूटिंग की। ओटीटी पर पार्ट वन को काफी पसंद किया गया था। पार्ट वन में मैंने महज तीन-चार एपिसोड में ही काम किया था, मगर मेरा चिंटू डेढ़ा का वो किरदार पार्ट टू का अहम किरदार बन गया। जैसा कि आप जानते हैं कि यह मुज्जफरनगर की सच्ची घटना से प्रेरित है। ये एनकाउंटर स्पेशलिस्ट आईपीएस नवनीत सिकेरा की रियल स्टोरी पर आधारित है। अपने रोल के लिए मैंने अपनी भाषा पर कड़ी मेहनत की। 'भौकाल 2' में मेरा बड़ा भाई जो प्ले कर रहा है, प्रदीप नागर, वो उत्तर भारत के ही हैं। उन्हें उस प्रदेश की लिंगो और बॉडी लैंग्वेज की अच्छी-खासी नॉलेज है, तो उन्होंने मेरी काफी मदद की।
सिद्धांत कपूर का बयान, पिता शक्ति कपूर हैं घर में सबसे बड़े आलोचक
-बिलकुल। डैड ने उनके साथ 'सत्ते पे सत्ता', 'महान', 'नसीब', 'लाल बादशाह' समेत अनगिनत फिल्मों में काम किया है, तो बचपन से ही बच्चन साहब के यहां आना-जाना रहा है। नब्बे के दशक में उनके घर में होली की पार्टियां हुआ करती थी और हम अक्सर उनके घर जाते थे। बहुत मजा आता था होली खेलने में। वहां का खाना आज भी याद है मुझे। तब अभिषेक (बच्चन) भी छोटा था। मगर वह बहुत शरारती था। एक ऐसी ही होली पार्टी में उसने मस्ती करते हुए मुझे कीचड़ में डाल दिया था। बच्चन साहब तब भी हम लोगों से बहुत प्यार और स्नेह से पेश आया करते थे।
'चेहरे' में उनके साथ काम करते हुए नर्वस थे आप?
-जब मैं सेट पर पहुंचा, तो मैं इतना नर्वस था कि मेरी समझ में नहीं आया कि यह सच है या सपना? मैंने तो सोचा भी नहीं था कि मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिलेगा। सेट पर मुझे किसी ऐक्टिंग स्कूल के बच्चे जैसा फील हुआ। उनके साथ हर पल कुछ सीखने जैसा था। वे एक तयशुदा शेड्यूल में काम करते हैं, तो सेट पर टाइमिंग को लेकर कमाल की पाबंदी होती थी। वे अपने सीन करने से पहले रिहर्सल करते थे, वो देखने लायक होता था। वे अपने साथी कलाकारों को जिस तरह का सम्मान देते हैं, वह भी सीखने योग्य था। मेरे लिए एक चैलेंज ये भी था कि फिल्म में मैं गूंगे का रोल कर रहा था और मुझे अपने एक्सप्रेशन चेहरे से देने थे। बच्चन साहब की उपस्थिति ने मुझे अभिनेता के रूप में संवारा और मैं अपने रोल के साथ न्याय कर पाया। मैं यह बेधड़क कह सकता हूं बच्चन साहब के साथ काम करने से पहले मैं बहुत भी बेसब्र हुआ करता था, मगर उनसे मैंने धैर्य सीखा।
-बचपन से ही हमारा रिश्ता बहुत प्यार भरा रहा है। उसे मैं अपनी बेस्ट फ्रेंड मानता हूं। भाई-बहन के रूप में हमारा बंधन अटूट है। राखी पर हम लोग डिनर पर गए थे। हम दोनों हमेशा से एक-दूसरे के लिए बहुत प्रॉटेक्टिव रहे हैं। हां, मैं शरारती था, तो बचपन में स्कूल हो या घर, हमेशा मुझे डांट या मार से बचाती थी। अक्सर मेरे लिए झूठ बोल देती थी।


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