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शिव्या पठानिया: जन्म देने वाली से शक्तिशाली और कौन हो सकता है

Rounak Dey
23 July 2022 11:40 AM GMT
शिव्या पठानिया: जन्म देने वाली से शक्तिशाली और कौन हो सकता है
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महिलाएं इस धरती पर नए जीवन को जन्म देती हैं, उनसे ज्यादा शक्ति और ममता भला और किसमें हो सकती है।

धारावाहिक राधा कृष्ण में राधा व राम सिया के लव कुश में सीता का किरदार निभा चुकी अभिनेत्री शिव्या पठानिया धारावाहिक बाल शिव में देवी पार्वती का किरदार निभा रही हैं। एक के बाद एक देवियों का किरदार निभा रही शिव्या इसे अपने लिए एक आशीर्वाद की तरह मानती हैं..


भगवान शिव को समर्पित सावन महीने का अनुभव व्यक्तिगत तौर आपके लिए कैसा रहता है?

बचपन से ही मेरे शिमला वाले घर में सावन के महीने में आयोजन होते आ रहे हैं। मेरी मां ने तो करीब 28 वर्ष तक सावन के सोमवार के व्रत रखे हैं। शो में मैं पार्वती के किरदार में सावन के सोमवार के व्रत रख रही हूं और व्यक्तिगत तौर पर भी रख रही हूं। हालांकि मैं पहली बार सावन के सोमवार के व्रत कर रही हूं। मेरे माता-पिता हाल ही में पहली बार सावन में मेरे पास मुंबई आए हैं। इसलिए यह सावन मेरे लिए काफी दिलचस्प और भक्ति भावनाओं से भरा चल रहा है।

मुझे बारिश में भीगना बहुत पसंद है। मुंबई आने के बाद पहली बारिश में भीगना मेरे लिए एक त्योहार जैसा बन गया है। इन दिनों छुट्टी मिलने के बाद मैं अपने दोस्तों के साथ घर से बाहर जाती हूं और जी भरकर भीगती हूं।

राधा, सीता और अब पार्वती, इन किरदारों को निभाने के बाद अपने जीवन में क्या बदलाव देखती हैं?

इन किरदारों को निभाने से पहले मैं बहुत चंचल थी। एक जगह टिक के नहीं बैठ सकती थी। इन किरदारों को निभाते हुए मुझे सभी देवियों के बारे में गहराई से समझना पड़ा। सीता से मैंने धैर्य, राधा से निस्वार्थ प्यार का वास्तविक मतलब, पार्वती से अपने व्यक्तित्व को मजबूत बनाना सीखा है। मैंने इस शो में ही देवी के 18 अलग-अलग रूपों को समझा है। जीवन और करियर में स्थायी होना और संतुलन बनाना मैंने इन्हीं किरदारों से सीखा है और अब भी सीख रही हूं।

पहले इस तरह के किरदार निभा चुके कई कलाकार टाइपकास्ट होने की शिकायत करते हैं, आपको कभी वह डर नहीं लगा?

मुझे ऐसा डर बिल्कुल भी नहीं लगता है, क्योंकि हाल ही में मेरी पहली वेब सीरीज शूरवीर डिज्नी प्लस हाटस्टार पर रिलीज हुई है, जिसमें मेरा काम पिछले कामों से बिल्कुल अलग है। मेरा मानना है कि एक कलाकार को पानी की तरह होना चाहिए, उसे चाहे जिस किरदार में डाला जाए, उसमें वह अच्छी तरह से ढल जाए। शायद अब वह वक्त निकल चुका है, जब आप कोई एक किरदार निभाकर उसी में बंधे रहते हैं। अब मैं अलग-अलग प्लेटफाम्र्स पर अलग-अलग चीजें करने के लिए देख रही हूं। बाकी देवियों का किरदार निभाने का मौका मिलना मैं अपने लिए आशीर्वाद की तरह मानती हूं।

महिला सशक्तीकरण की दिशा में आप सबसे जरूरी क्या चीजें मानती हैं?

महिला सशक्तीकरण की दिशा में महिलाओं का खुद पर भरोसा करना और कभी किसी मामले में खुद को कमजोर न समझना सबसे जरूरी चीजें हैं। महिलाएं इस धरती पर नए जीवन को जन्म देती हैं, उनसे ज्यादा शक्ति और ममता भला और किसमें हो सकती है।

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