मनोरंजन

तवायफों और देह व्यापार करने वालों पर बोले शेखर सुमन

Apurva Srivastav
12 May 2024 7:29 AM GMT
तवायफों और देह व्यापार करने वालों पर बोले शेखर सुमन
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मुंबई : एकटर शेखर सुमन (Shekhar Suman) वेब सीरीज 'हीरामंडी: द डायमंड बाजार' में जुल्फिकार के रोल के लिए वाहवाही बटोर रहे हैं। इस सीरीज में उनकी एक्टिंग काफी पसंद की जा रही है। 'हीरामंडी' को रिलीज हुए कुछ ही दिन बीते हैं, मगर इस शो के बारे में चर्चाएं बंद नहीं हो रहीं।
'हीरामंडी' तवायफों की कहानी है। इस शो में मनीषा कोइराला, संजीदा शेख, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, ऋचा चड्ढा और शर्मिन सेगल ने लीड रोल प्ले किया है। सीरीज में शेखर सुमन का मनीषा कोइराला के साथ एक एडल्ट सीन है, जो इन दिनों काफी सुर्खियों में हैं। 'हीरामंडी' की चर्चाओं के बीच शेखर सुमन ने एक हालिया इंटरव्यू में देह व्यापार करने वाली और तवायफों पर अपनी बात रखी है।
देह व्यापार करने वाली महिलाओं पर बोले शेखर सुमन
रेडियो सिटी को दिए इंटरव्यू में शेखर सुमन ने कहा कि तवायफों और देह व्यापार करने वाली महिलाओं में फर्क है। अक्सर तवायफों को गलत समझा जाता है। उन्हें देह व्यापार वाली महिला समझा जाता है, जो कि गलत है।
शेखर सुमन ने कहा कि समाज ने तवायफों को इसी नजर से देखा है। कई बार शो में ऐसा कहा गया है कि कोई भी महिला अपनी मर्जी से इन सबके दलदल में नहीं आती। सिचुएशन ऐसी हो जाती है कि उसे मजबूरन यह रास्ता अपनाना पड़ता है। इन सबके बावजूद सोसायटी में उनका योगदान बहुत बड़ा है।
हीरामंडी एक्टर ने कहा, ''जहां से हम आते हैं, जिस तरह की भूख जो मर्दों में है, उसका जो चैनलाइज होता है, उसकी वजह से समाज बचा रहता है। (समाज सुरक्षित है क्योंकि पुरुषों को यौनकर्मियों के माध्यम से अपनी यौन भूख को मिटाने का मौका मिलता है।)''
शेखर सुमन ने बताया 'हीरामंडी' का असली मतलब
शेखर सुमन ने हीरामंडी का असली मतलब भी बताया। उन्होंने कहा कि हीरामंडी वो जगह थी, जहां लोग मैनर्स, आर्ट और म्यूजिक सीखने जाया करते थे। ये वो फिनिशिंग स्कूल था, जहां बच्चे भेजे जाते थे, नवाब भी सीखने आया करते थे। हीरामंडी का योगदान बड़ा था, ये एक इंस्टीट्यूशन की तरह था, लेकिन हमने हमेशा तवायफों को अलग नजर से देखा है। एक्टर ने कहा कि तवायफ होने में कोई बुराई नहीं है। हीरामंडी में स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को भी दिखाया गया।
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