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बॉलीवुड की कई फिल्मों को अपने सुरीले सुरों से सजाने वाले शंकर महादेवन अपने गानों और म्यूजिक के लिए चर्चा में बने रहते हैं। शंकर महादेवन की फैन फॉलोइंग देश ही नहीं विदेश तक में फैली है। इसका हालिया उदाहरण उनको मिले सम्मान से झलक रहा है। अक्सर देश को गौरवान्वित करने वाले शंकर महादेवन ने एक बार फिर हर भारतीय का सिर फक्र से ऊंचा कर दिया है। दरअसल, शंकर महादेवन को हाल ही में रॉयल बर्मिंघम कंजर्वेटोयर में आयोजित एक समारोह में संगीत और कला में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए बर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी (बीसीयू) से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली है।
इस खास मौके पर सिंगर ने विशेष बातचीत की। शंकर महादेवन ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, 'यह वास्तव में विशेष है, मैं विशेषाधिकार प्राप्त महसूस करता हूं, मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं और यह मेरे द्वारा किए गए काम का परिणाम है। मैं बर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी और सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं। वे लोग जिन्होंने मुझे इस महान, सम्माननीय डॉक्टरेट से सम्मानित करने का निर्णय लिया। मैं बस इतना कह सकता हूं कि यह एक ऐसा अवसर है जो बताता है कि मुझे और भी अधिक मेहनत करने की जरूरत है, और भी सुंदर गाने लाने की जरूरत है और दुनिया भर में भारतीय संगीत शास्त्रीय संगीत का आनंद फैलाना है।'
शंकर महादेवन ने आगे कहा, 'जब किसी कलाकार को इस तरह की मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की जाती है इसे देखकर आपके अंदर हासिल करने का एक लक्ष्य होता है। युवाओं को लगता है कि उनके सपने उनकी आंखों के सामने सच हो रहे हैं। वे कड़ी मेहनत करना भी शुरू कर देते हैं और वे भी कुछ हासिल करना चाहेंगे और संभवत: वहीं पहुंचना चाहेंगे जहां मैं आज पहुंचा हूं। मैं जॉन मैकलॉघलिन और उस्ताद जाकिर हुसैन जैसे उस्तादों को ऐसे देखता था। इसलिए मुझे अगली पीढ़ी के लिए एक अच्छा उदाहरण स्थापित करना है।'
समारोह के बाद बर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी के छात्रों ने शंकर महादेवन के 'कभी अलविदा ना कहना' के 'मितवा' जैसे कई गानों को स्टेज पर परफॉर्म किया, जो सम्मान की बात है। शंकर महादेवन को 'मां तुझे सलाम', 'आज कल जिंदगी', 'उफ्फ तेरी अदा', 'तेरे नैना' और 'कोई कहे कहता रहे' जैसे हिट गानों के लिए जाना जाता है।
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