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भारतीय सिनेमा की बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक शबाना आजमी ने 18 सितंबर को उम्र का 73वां पड़ाव छू लिया है। 1950 में हैदराबाद में जन्मीं शबाना ने हर तरह के किरदार निभाए हैं। शुद्ध मसाला फिल्मों से लेकर कला सिनेमा तक शबाना की अभिनय क्षमता देखी जा सकती है। हाल ही में रिलीज हुई फिल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी में शबाना दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के साथ लिप-लॉक को लेकर काफी चर्चा में रही थीं। दोनों वरिष्ठ अभिनेताओं ने इन चर्चाओं को सकारात्मक रूप से लिया और प्रतिक्रिया भी दी। किरदार की चुनौतियों का सामना करना उनकी खासियत रही है। शबाना आजमी ने अब तक 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है और कई बार उन्होंने अपनी बेहतरीन अदाकारी से अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया है। शबाना को 5 बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। उनकी उन फिल्मों की चर्चा जिनके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिले।
अंकुर
1974 में रिलीज हुई फिल्म अंकुर का निर्देशन श्याम बेनेगल ने किया था। यह फिल्म शबाना आजमी के करियर की पहली फिल्म थी। पहली ही फिल्म में शबाना की एक्टिंग का जादू ऐसा चला कि उन्हें साल 1975 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फिल्म में शबाना ने एक दलित महिला लक्ष्मी का किरदार निभाया, जो अपने पति के साथ घरों में काम करती है। उसके मकान मालिक के बेटे की।
अर्थ
3 दिसंबर 1982 को रिलीज हुई फिल्म अर्थ का निर्देशन महेश भट्ट ने किया था। इसमें शबाना के साथ स्मिता पाटिल और कुलभूषण खरबंदा नजर आए थे। फिल्म एक निर्देशक के इर्द-गिर्द घूमती है जो एक अभिनेत्री के साथ विवाहेतर संबंध में शामिल हो जाता है। इस फिल्म में शबाना आजमी ने पूजा इंदर मल्होत्रा का किरदार बखूबी निभाया। इस फिल्म के लिए उन्हें साल 1983 में अपने करियर का दूसरा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।
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खंडहर
शबाना आजमी और नसीरुद्दीन शाह और पंकज कपूर जैसे कलाकारों से सजी यह फिल्म साल 1984 में रिलीज हुई थी। फिल्म खंडहर का निर्देशन मृणाल सेन ने किया है। यह एक रोमांटिक फिल्म है, जिसमें शहर के एक फोटोग्राफर और गांव की लड़की के बीच की प्रेम कहानी दिखाई गई है। इस फिल्म में बेहतरीन अभिनय के लिए शबाना को एक बार फिर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पार
साल 1985 में रिलीज हुई इस फिल्म में शबाना आजमी के साथ नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी मुख्य भूमिका में हैं। ग्रामीण बिहार पर आधारित फिल्म पार की कहानी गंभीर वास्तविकताओं को दिखाने के साथ-साथ गरीबी, शोषण जैसे मुद्दों पर भी प्रकाश डालती है। शबाना आज़मी ने नसीरुद्दीन शाह द्वारा अभिनीत मजदूर नौरंगिया की पत्नी रामा की भूमिका निभाई। फिल्म में जबरदस्त अभिनय के लिए शबाना को एक बार फिर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।
गॉडमदर
1999 में रिलीज हुई बायोग्राफिकल ड्रामा फिल्म गॉडमदर का निर्देशन विनय शुक्ला ने किया था। यह फिल्म 80 और 90 के दशक में गुजरात के पोरबंदर के एक गैंगस्टर संतोबेन जड़ेजा की कहानी से प्रेरित है। शबाना आजमी ने गॉडमदर के रूप में रंभी का किरदार बहुत शानदार ढंग से निभाया। इस किरदार के लिए शबाना को उनके करियर के पांचवें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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