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व्यापम जैसे घोटाले रुकने वाले नहीं : 'शिक्षा मंडल' के शो-रनर

jantaserishta.com
25 Sep 2022 10:56 AM GMT
व्यापम जैसे घोटाले रुकने वाले नहीं : शिक्षा मंडल के शो-रनर
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अक्षय आचार्य
मुंबई (आईएएनएस)। घोटालों ने हमेशा कहानीकारों, फिल्म निर्माताओं और कंटेंट क्रिएटर्स को आकर्षित किया है, जो अतीत की घटनाओं को सम्मोहक तरीके से पेश करने के लिए एक सूत्र ढूंढते हैं। 'स्कैम 1992 : द हर्षद मेहता स्टोरी' और 'जामताड़ा' ने लंबे समय तक दर्शकों का मनोरंजन करते हुए उन्हें बड़े पैमाने पर इन घोटालों के नतीजों से रूबरू कराया है।
मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले से प्रेरित बताई जा रही हाल ही में रिलीज हुई एमएक्स प्लेयर सीरीज 'शिक्षा मंडल' मेडिकल प्रवेश परीक्षा घोटाले की कहानी बयां करती है।
यह घोटाला, जो 1990 के दशक से चल रहा था, 2013 में सामने आया। व्यापम (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में भारी अनियमितताएं पाई गईं। व्यापम को मेडिकल छात्रों के चयन और मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड के रूप में जाना जाता है। सरकारी कर्मचारी (खाद्य निरीक्षक, परिवहन कांस्टेबल, पुलिसकर्मी, स्कूल शिक्षक, डेयरी आपूर्ति अधिकारी और वन रक्षक सहित) पद के लिए चयन इसी के माध्यम से किया जाता था। इसके परीक्षा परिणामों में धांधली हुई थी।
घोटाले में शामिल लगभग 40 व्यक्तियों की अप्राकृतिक कारणों से मौत हो गई, हालांकि अनौपचारिक आंकड़ा 100 से अधिक मौतों का है जैसा कि मीडिया ने बताया है।
मध्य प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को भी इसमें आरोपी बनाया गया था। शर्मा का 2021 में 60 वर्ष की आयु में कोविड-19 से संक्रमित होने के कारण निधन हो गया।
आईएएनएस ने हाल ही में एमएक्स प्लेयर के मुख्य कंटेंट अधिकारी गौतम तलवार से घोटाले की प्रकृति, अनुसंधान, प्रलेखन, निष्कर्ष और घोटाले की वर्तमान स्थिति के बारे में बात की।
तलवार ने आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में कहा : "इस तरह के घोटाले की बौलत जो छात्र भविष्य के डॉक्टर बनेंगे, वे लोगों के जीवन और समग्र रूप से समाज को प्रभावित करेंगे। निश्चित रूप से यह कहने लायक कहानी है।"
वह पूरी मशीनरी के काम करने के तरीके और इसे हकीकत बनाने में शामिल लोगों की संख्या से भी हैरान थे।
शोध के एक भाग के रूप में, लेखन टीम ने विभिन्न समाचार लेखों, चल रहे अदालती मामलों की कार्यवाही का अध्ययन किया और पीड़ितों के रिश्तेदारों और सहयोगियों से भी मुलाकात की।
तलवार ने आगे कहा : "उन्होंने कोचिंग सेंटरों का दौरा किया और समझा कि छात्रों के दृष्टिकोण से परीक्षा प्रक्रिया कैसे होती है। कुछ मामलों में टीम ने पीड़ितों से भी मुलाकात की, जिनका नकली डॉक्टरों द्वारा गलत तरीके से निदान किया गया था।"
शोध के प्रमुख निष्कर्षो और परिणामों के बारे में और जांच किए जाने पर तलवार ने कहा, "ऐसी कई कहानियां और घटनाएं हैं जो व्यक्तिगत रूप से बहुत ही अजीब और अनोखी हैं, लेकिन एक समेकित कहानी के रूप में वर्णित करना मुश्किल है। शिक्षा घोटाला न तो हालिया है और न ही खत्म होने वाला है, यह शायद अभी भी कई राज्यों में कई धाराओं में चल रहा है।"
चूंकि, घोटाले से उत्पन्न होने वाली कई अलग-अलग कहानियां थीं, इसलिए रचनाकारों ने मेडिकल इंट्रेंस टेस्ट और समाज पर इसके प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया।
मीडिया एजेंसियों द्वारा पुराने तौर-तरीकों का पदार्फाश किए जाने के बाद घोटालेबाज नए-नए तरीके अपनाते हैं। घोटाले लगातार विकसित हो रहे हैं।
तलवार ने आईएएनएस से कहा, "अभी तक विभिन्न समाचार चैनलों द्वारा घोटालों का खुलासा किया जा रहा है, लेकिन कार्यप्रणाली का पता चलने के बाद घोटालेबाजों ने इसी तरह के घोटाले करने के नए तरीके खोजे हैं। यह बहुत बड़ा उद्योग है, मगर इसे पूरी तरह से रोका जा सकता है।"
आखिरकार तार कहां जुड़ते हैं? इसके पीछे कोई शक्तिशाली राजनेता होता है, नौकरशाह होते हैं या अपराधी या इन सबकी मिलीभगत होती है?
तलवार के पास एक दिलचस्प जवाब था। उन्होंने कहा, "इसका कोई अंत नहीं है, शिक्षा प्रणाली के भीतर व्यक्तियों से लेकर कोचिंग सेंटरों तक स्कूलों से विश्वविद्यालयों तक विभिन्न स्तरों पर घोटाला अभी भी हो रहा है। यह बहुत अधिक नापाक संबंधों के साथ बहुआयामी है जो समय के साथ बदलता रहता है। इसे सुलझाना आसान तार नहीं है।"
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