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साहिब महिमा अनंत

Rani Sahu
9 Dec 2022 6:49 PM GMT
साहिब महिमा अनंत
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सृष्टि रचयिता ने जब आदम और ईव को धरती पर उतारा तो उनकी कई तरह की भूख मिटाने के लिए सेब भी दिया । यदि सेब उनके जीवन में न आता और वे दोनों सेब को न खाते और दुनिया में इतनी आबादी न होती। दुनिया में इतने देश न होते और हमारे देश के कुछ लोग दुनिया के अति धनवान लोगों में शुमार भी नहीं होते। इस सब का काफफ श्रेय उस विरले सेब को जाता है। दिल चाहता है, 'सेब साहिब' कहना शुरू कर दूं। इस बात को मज़ाक मान लिया जाए लेकिन अगर संजीदगी से देखा जाए तो विकास में सेब नामक न सही दूसरे बड़े नाम वाले साहिबों का बड़ा हाथ है। साहिब अपनी सेवा खुद नहीं करते, उनकी सेवा करनी पड़ती है। उनकी सेवा करते रहो तो स्वादिष्ट फल स्वत: प्राप्त होते रहते हैं। साहिब, किसी के भी रास्ते से कोई भी गाड़ी हटवा सकते हैं या उनकी फंसा सकते हैं। दूसरे बड़े साहिब से मिलकर दुनिया में कहीं भी मुफ्त यात्रा कर सकते हैं, शाकाहारी होते हुए भी कुछ भी निगल सकते हैं। जितना मजऱ्ी पचा सकते हैं और अच्छी तरह से पचाना सिखा भी सकते हैं। बड़े साहिबों के साथ दो-चार छोटे साहिब भी चिपक सकते हैं। छोटे स्तर के लोग उनके पीने और पीते रहने, खाना खाने और पचाने का इंतज़ार करते हैं। करना पड़ता है, साहिब का इंतज़ार है, आम आदमी का तो है नहीं । साहिब को पूजा स्थलों में प्राथमिकता मिलती है। उनके द्वारा पूजा करवाते ही भगवानजी प्रसन्न हो जाते हैं। पुजारीजी उन्हें मंत्री व ठेकेदार के सहयोग से इलाके का वोटचाहा विकास करवाने का आशीर्वाद हाथोंहाथ थमा देते हैं।
उधर झोंपड़ी में रहने वाला आदमी, उनके दफ्तर के चक्कर काटने के बाद, ऊपर वाले के दरबार में भी बिसराया जाता है। साहिब द्वारा धार्मिक अनुष्ठान व पाठ करवाने से उनके पिछले काले, लाल, तिकोने, गोल और चौरस पाप, हवन कुंड में भस्म हो जाते हैं लेकिन गंगाजी में नहाने से आम लोगों के पाप सिर्फ धुलते हैं। अगर साहिब चाहें तो मंत्रीजी को चेला बनाकर रख सकते हैं। साहिब और राजनीति के साहब मिलकर ऐसा अध्याय लिखते हैं कि लगता है जि़ंदगी उनके आशीर्वाद के बिना नहीं चल सकती। यद्यपि सरकारजी ने साहिब की लालबत्ती उतार दी है लेकिन उनके दिमाग में तो अभी भी सलामत है। साहिब के लिए कुछ मुश्किल नहीं है, वे एक इशारा कर दें तो पारिवारिक शादियों और समारोहों में प्रायोजकों की भीड़ लग जाती है। ज्ञानी जन कहते हैं कि साहिब लोग ही असली सरकार होते हैं। साहिब के साथ अगर दोस्ती हो जाए और ईमानदारी से निभती रहे तो राजनीतिक गच्चों, मंत्रियों के क्रूरपुर, जनता के चिंतापुर व ताक़त के रौद्रपुर जाने से बचा जा सकता है। स्वामी, मालिक, बॉस, शाबजी कहे जाने वाले साहिब अड़ जाएं तो कोई भी योजना धूल में मिल सकती है और वे चाहें तो धूल भी योजना हो सकती है। वे चाहें तो मिट्टी करोड़ों में खरीदी जा सकती है न चाहे तो करोड़ों मिट्टी हो सकते हैं। साहिब महिमा अपार है।
प्रभात कुमार
स्वतंत्र लेखक
By: divyahimachal
Rani Sahu

Rani Sahu

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