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LGBTQ कॉम्युनिटी की बने आवाज
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सिनेमा जगत में रितुपर्णो घोष का नाम काफी फेमस है। उन्होंने एक से बढ़कर एक कई बेहतरीन फिल्में बनाई। अपनी फिल्मों के लिए नेशनल अवॉर्ड भी अपने नाम किया। रितुपर्णो घोष के निर्देशन में बनी फिल्मों में दर्शकों का ध्यान खींचा। एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी और उनके राइट्स को भी रितुपर्णो ने अपनी फिल्मों के जरिए रेखांकित करने की कोशिश की और इसमें वे सफल भी रहे। अलग तरह की फिल्म बनाने वाले घोष को 12 बार नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स से नवाजा गया। उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी और बंगाली तीनों भाषाओं में फिल्में कीं। उन्होंने आज ही के दिन यानी 30 मई, 2013 को सिर्फ 49 साल की उम्र में दुनिया को विदा कह दिया। आज उनकी पुण्यतिथि पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुक दिलचस्प बातें। तो चलिए शुरू करते हैं...
49 साल की उम्र में 12 राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले फिल्मकार कम ही होते हैं। ऋतुपर्णो घोष एक ऐसा ही नाम थे। जिस बेबाकी के साथ उन्होंने फिल्में बनाई हैं उसी बेबाक अंदाज से वह अपनी जटिल सेक्सुअलिटी को स्वीकार्य करते हैं। उन्होंने बंगाली सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया था। वो भले ही पुरुष थे, लेकिन उन्हें महिलाओं की तरह सजना-संवरना पसंद था। उन्हें कोई दादा या दीदी इससे वह बुरा नहीं मानते थे।
1963 में कोलकाता में जन्मे ऋतुपर्णो घोष ने 31 साल की उम्र में अपनी पहली फिल्म का निर्देशन किया था। उनकी पहली हिंदी फिल्म की बात करें तो उसका नाम रेनकोट था। 2004 में रिलीज हुई इस फिल्म ने नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीता। इस फिल्म में ऐश्वर्या राय और अजय देवगन ने मुख्य भूमिका निभाई थी। उनकी द्वारा निर्देशित आखिरी हिंदी फिल्म 'सनग्लास' है। फिल्म निर्माण की उनकी पारी की शुरुआत 1994 में बंगाली फिल्म 'हैरियर आंगती' से हुई थी।
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